रविवार, 22 नवंबर 2015

सकारात्मक सोच....

                                         सकारात्मक सोच 

 अक्सर हमारे जीवन मे  ऐसे मौके आते हैं जब हम बहुत निराश और उदास हो जाते हैं। ऐसे मौके पर हमें अपने आप को अपने परिवेश की अच्छी चीजों, अच्‍छी बातों की याद दिलानी पड़ती है। ऐसा करने से नकारात्मक चीजें अपने आप कही गुम हो जाती हैं, और हमारी सोच अपने आप सकारात्मक हो जाती है |
अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हमे सफलता जरूर मिलेगी भले  ही थोड़ी देर हो जाए तो क्या लेकिन हम सफल जरूर होंगे |
आप खुद सोचिए की एक  पेड़ से हजारो माचिस की तिलिया बनती है लेकिन सिर्फ एक तीली ही काफी होती है हजारो पेड़ को जलाने के लिए |
इसलिए हमे अपने बारे मे अच्छा सोचने का पूरा अधिकार है चाहे कोई हमारे बारे मे कितना भी बुरा सोचे बस हमे अपनी सोच सही रखनी है |
अगर आप उदासी और निराशा के शिकार है तो सकारात्मक सोचिए और  कुछ  बातों   को याद रखिए  और इनको अपना ले तो सबकी  जिंदगी सरल हो जाए ----
1.      वक्त सारे घाव भर देता है। हर चीज को वक्त  दिजिये ।
2.      जीवन सुलझा होता है इसे उलझाएं नहीं, हर कम को एक - एक करके करिये
3.      कुछ भी उतना बुरा  नहीं होता  जितना कि दिखता है, इसलिए बूरा सोचना बंद करें।
4.      मौके हर जगह हैं बस आप उन्हे ढूंढने की कोशीश  करिए
5.      अगर आपको अपने बारे में कुछ पसंद नहीं है तो उसे आप कभी भी बदल सकते हैं।
6.      असफलताएं और गलतियां आशीर्वाद और वरदान हैं, यह जितने मिले उतना अच्छा है।
7.      छोड़ो और जाने दो  वाला ऐटिट्यूड  अपनाएं, आप हमेशा खुश रहेंगे।
8.      ये पूरी सृष्टि हमेशा आपके पक्ष में  काम करती है न की विरोध में ऐसा हम सोचेंगे  तभी आगे बढ़ेंगे
9.      हर अगला दिन आपके लिए नयी उमीदों का भण्डार लेकर आता है, इसको  समझकर हमे अपना कोई भी काम नए लगन और हिम्मत के साथ शुरू करना चाहिए |
10.  दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है, जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपको प्रेरित कर सकते हैं। बस कौन अच्छा है यह हमें देखना है।
11.  सुबह का सूरज नयी सोच और जोश के साथ निकलता है ,ये कभी मत भूलिए |
12.  हर व्यक्ति अपने हुनर के साथ पैदा होता है बस हमे उसको पहचानना  है|
13.  समय की कीमत को जाने और उसका पूरा उपयोग करे | समय को बर्बाद करने वाला कभी भी आगे नही  बढ़ सकता |
14.  जो भी गलती अगर पूरे दिन मे हुई हो तों उसको हमे स्वीकार करके सुधारने की कोशिश  करनी चाहिए ताकि फिर वो गलती हम दूसरे दिन न करे |

15.  हमे अपने जीवन मे हमेशा सीखते रहना चाहिए ,क्योकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है|....


सोमवार, 16 नवंबर 2015

मै दीपक ......तुम बाती |

16 नव ॰ 2015, आज मेरी शादी को दस साल हो गए | आज मेरी शादी की दसवी साल गिरह है | मै भगवान  से यही प्रार्थना करती हू , की जैसे ये दस साल खुशी -खुशी बीत गए वैसे ही आगे भी हमारी लाइफ ऐसे ही बीत जाए  हम आगे भी ऐसे खुश और साथ -साथ रहे | हमारा रिश्ता ऐसे ही महकता रहे | 
आज मेरे हसबेंड ने मेरे लिए चंद  लाइन  लिखी और मुझे गिफ्ट किया .... तो मैंने सोचा की आप लोगो के साथ शेयर करू  ........| 

मै दीपक हूँ, तुम हो बाती। एक दशक से जलते संग संग.....
मै हूँ सीप तो तुम हो स्वाति....

जो मेरा है, सब कुछ तेरा। कैसी अकड़न, तेरा – मेरा
मै शरीर हूँ, तुम मुझमे हो, सांस तुम्ही हो, हृदय मेरा
नहीं रखो कुछ मन मे अपने,
बातें तो है आती, जाती.....
मै दीपक हूँ, तुम हो बाती....

विश्वास करो, और अपना समझो। छोड़ो सब कुछ करो समर्पित
ईश्वर सच है, वही विधाता, सारा दुख सुख कर दो अर्पित
धूल धूसरित शिशु को भी क्या माता बढ़ कर नहीं अपनाती--?

मै दीपक हूँ, तुम हो बाती......

                               निर्भय "देवव्रत "






जानम हम तुमपे मरते है ......



जानम हम तुमपे मरते है .......|
कितना प्यार छुपा रखा है सिने मे ,
कितनी मस्ती दिखती है तेरे संग मे ,
मेरी आंखे तो अब तेरी नैनो की मदिरा पीते है ...
जानम हम तुमपे मरते है ....|

छोटी -छोटी बाते अक्सर क्या -क्या रंग दिखा  देती है ,
कसमें ,वादे पल मे टूटे ,कितने आँसू भर देती है ,
नीदे  कहा उड़ जाती है , बस हम तो तारे गिनते है .....
जानम हम तुमपे मरते है ....|

देखो ,सोचो नए साल मे ,हम डूबंगे प्यार मे ,
फिर से संग -संग जिएंगे खुशियो के संसार मे ,
कसम  तुम्हारी यकीन कर लो ,हर सांस तुम्ही से भरते है ....
जानम हम तुमपे मरते है ....|



                                 निर्भय "देवव्रत "

रविवार, 15 नवंबर 2015

दिये की एक लौ..... |

दिये कि एक लौ ......




समय के पल  मे कितनी ताकत होती है , इसे अगर हम समझना चाहते है तो , हमे एक जलते हुये दीप को देखना होगा | एक पल मे , एक लौ मे आप वक्त की कमान को समझ जाएंगे | दिये की ताकत को समझने के लिए किसी स्थिति की जरूरत नहीं होती | अंधेरा हो या ना हो दिया जलेगा तो उजाला होगा | एक साधारण सा दिखने वाला दिया जलते ही उसमे जान  आ जाती है  और वो शानदार लौ का घर बन जाता है |

दिया कैसा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता एक बार वो जल जाए तो उजाला ही फैलता है और वो सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है ,और सब उसकी रोशनी मे खो जाते है |

हम दियो को कतार मे जलाते  है , उसे झालर की तरह देखते है | लेकिन अगर हमे उजाला देखना है तो सिर्फ एक दिये पर गौर करना होगा | मिट्टी का एक छोटा सा दिया , उसके शिर्ष  पर एक मुकुट की तरह उसकी लौ झिलमिलाती रहती है | वो लम्हा इतना खूबसूरत होता है की उस पल से ज्यादा खूबसूरत कुछ हो ही नहीं सकता | एक लौ को अपने शिर्ष पर उठाना सिर्फ  एक दिया के लिए ही संभव है | अग्नि को मुकुट की तरह अपने शिर्ष पर सिर्फ एक दिया ही रख सकता है | 

अग्नि की पूजा तो और भी कई त्योहारो मे होती है.... लेकिन दिये जैसा मान  उसे नहीं मिलता |


दिया ही सबसे सरल होता है , वो मिट्टी का हो , पीतल का हो , चाँदी का हो या सोने का हो तो भी क्या.....| जब तक दिया जलता नहीं है तब तक वो  सिर्फ पात्र  है | और जैसे ही वो प्रज्वलित  होता  है ,वैसे ही वो दीपक  बन जाता है रोशनी फैलता  है , राह दिखने वाला गुरु बन जाता है | इस संसार मे अपने औचित्य को समझने का इससे बड़ा सबक भला कौन दे सकता है |

जब एक दीपक कही जलता है तो उसकी रोशनी दूर तक फैलती है और वो बहुत दूर से नजर आ जाता है | एक दिया अपने निर्माण से नहीं अपने कर्तव्य से चमकता है |  धूप मे एक पेड़ का साया हमे सुकुन  देता है और  अंधेरे मे एक दीपक रोशनी देकर हमे उजाला देता है | ये दो ऐसे है जो हमारे कड़े वक्त मे हमारा साथ देते है |

एक दीपक सदा विजयी होता है, अंधेरे को हराने के लिए वो हमेशा तैयार रहता है फिर भी वो दंभी नहीं होता ...वह सिर्फ एक दिप हैं, और बिलकुल सरल है ।

इसीलिए मित्रो , हमे दीपक से सीखना चाहिए .....कि हमारा कर्तव्य क्या है | तभी हमारी दिवाली सम्पूर्ण होगी | पहचान निर्माण से नहीं कर्तव्य से मिलती है | दिये कि लौ कि रोशनी हम अपने दिल मे उतार ले तभी हमारा ये जीवन सम्पूर्ण होगा  |




शुभ दीपावली !!!

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

पाँच दियो की दिवाली .......|



पाँच दियो की दिवाली.... 




सन 2007 , नवम्बर  दिवाली का त्योहार .... नेटिव प्लेस जाने की तैयारी |


किसी भी त्योहार मे जो कोई भी अपने घर से दूर रहता है वो घर जाने की तैयारी करने लगता है पहले से ही | सो... हमने भी की, दो दिन पहले घर जाने का टिकट था | हम भी निकल पड़े घर के लिए .... |

सुबह ही हमारी ट्रेन थी ,पति देव की तबीयत पहले से ही थोड़ी खराब थी फिर भी हम किसी तरह स्टेशन पहुच गए क्योकि घर जाने की जल्दी जो थी | जैसे ही हम स्टेशन पहुचे तो पता चला की ट्रेन शाम को आएगी मतलब की सुबह 5 बजे की ट्रेन शाम को 4 बजे आने वाली है | हसबेंड की तबीयत तो पहले से ही खराब थी तो हमने शाम तक के लिए होटल ले लिया स्टेशन के पास ही |  वापस चंडीगढ़ जाना पॉसिबल नहीं था क्योकि  हम अंबाला मे थे | शाम को जब स्टेशन आए तो पता चला की ट्रेन ही कैंसिल हो गयी | बाद मे हमे वापस चंडीगढ़ ही आना पड़ा अपने घर वापस क्योकि हसबेंड की तबीयत भी बहुत ज्यादा खराब हो गयी थकान  होने से|

खैर हम दोनों वापस आ गए ... मेरी शादी के बाद पहली दिवाली और मै घर नहीं जा पाई | अब तो दिवाली अकेले ही मनानी पड़ेगी ये सोच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था  ...पर अब इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं था |

दूसरे दिन हसबेंड को डॉक्टर को दिखाया ,डॉक्टर ने बोला की सिवियर वाइरल  इन्फ़ैकशन है फूल रेस्ट की जरूरत है| घर जाने के वजह से मैंने दिवाली की कोई भी शॉपिंग नहीं की थी ...न तो घर मे एक भी दिया थ न ही नई मूर्ति पूजा के लिए | अब पतिदेव तो कुछ कर नहीं सकते थे तो मुझे ही सब कुछ अकेले करना पड़ा |
धनतेरस के दिन मै मार्केट गयी मेरे को समझ नहीं आया की मै क्या लू दो लोगो के बीच मे कितनी स्वीट्स लू ,कितने दिये लू ...क्या क्या लू कितना लू |

मै एक बहुत बड़े फॅमिली से हू  मेरा कोई भी फ़ेस्टिवल्स अकेले नहीं बिता बल्कि सब के साथ मना है | मै हमेशा बड़े परिवार के बीच रही हू वही त्योहार मनाया है | कुल  35-40 लोगो का परिवार था मेरा, जहा कोई भी फ़ेस्टिवल्स सब साथ मे मिलकर मानते थे |

और अब मै शादी के बाद बिलकुल अकेले , हसबेंड है तो उनकी भी तबीयत ठीक नहीं थी  ......मै क्या करती |

मैंने मार्केट से थोड़े स्वीट लिए , कुछ पूजा का समान लिया ,छोटी सी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति ली एक पैकेट  कैंडल लिये और सिर्फ पाँच दिया लिया .....क्योकि उससे ज्यादा की जरूरत नहीं थी |

कहा हमारे घर मे पाँच सौ दिये आते थे और कहा आज मैंने सिर्फ पाँच दिया लिया ....आप खुद सोचिए कैसा लगा होगा मुझे | खैर मै  मार्केट से घर  लौट आयी पाँच दिये लेकर …. |

दूसरे दीन दिवाली थी और फिर मैंने छोटी  सी रंगोली बनाई पूजा करने के लिए उसमे अपने पाँच दिये सजा दिये | मुझे बहुत बुरा लग रहा था और आश्चर्य भी हो रहा था की समय कहा से कहा ला  देता है | आज मै अकेले दिवाली मना रही थी , जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी | फिर मैंने दिवाली की पूजा सम्पन्न की और दिये जलाए | मैंने अपने वो पाँच दिये उन पाँच सौ दियो  को याद करके जला लिए | वो पाँच सौ दियो की रोशनी  और मेरे उन सब बड़ो का आशीर्वाद मुझे उन पाँच दियो मे दिख रहे थे जो उन दियो  की तुलना मे  बहुत कम थे पर मेरे उस छोटे से घर को रोशन करने के लिए काफी थे |

इस तरह से मेरी पाँच सौ दियो की दिवाली पाँच दियो मे सिमट कर रह गयी | वो दिवाली मेरे  ज़िंदगी की सबसे सुनहरी याद बन गयी जिसने अकेलेपन  का दुख तो दिया पर ढेर सारा एक्सपिरियन्स दे गयी ...............|   








 

रविवार, 11 अक्तूबर 2015

मनाली की एक रात ................


सन 2006  अगस्त .............. जैसा  सभी शादी के बाद घूमने का प्लान करते  है , वैसे ही  हमने भी  प्लान  बनाया मनाली घूमने का,
अगस्त का महिना , बारिश का मौसम  होता है| हम मनाली के लिए निकल गए  तीन दिनो  का प्रोग्राम था हमारा | हमने दिन मे सफर करने की सोची क्योकि पहाड़ो की जो ब्यूटी रास्ते मे होती वो देखने ही लायक होती है |
चंडीगढ़ से मनाली ............. हम देर शाम तक मनाली पहुच गए | रास्ते की ढेर सारी खूबसूरती  हमारी आंखो मे बसी हुई थी |
 अगले दिन हम पूरा दिन मनाली घूमते रहे | पहाड़ी इलाके की जो खूबसूरती होती है वो कही नहीं होती  है उसपर मौसम  भी
 ठंडा ..... दोनों का अपना  ही  ताल -मेल है |

दूसरे दिन हमने प्लान किया रोहतांग जाने का | सुबह ही हम टॅक्सी के द्वारा रोहतांग के लिए निकल पड़े , पूरा रास्ता रोमांचकारी था | इतना आनंद आया की मेरे पास उसको बताने के लिया शब्द नहीं है |
हमे बहुत  देर हो गयी , बारिश भी शुरू हो गयी थी टॅक्सी वाले ने बोला की अगर हम जल्दी नहीं निकलेंगे तो फस जाएंगे जब तक हम रोहतंग से नीचे आए तब तक रात होने वाली थी और अभी मनाली करीब 10  किलोमीटर दूर था | बारिश और ज़ोर से होने लगी थी सभी परेशान थे | हम मैदानी इलाके मे रहने वाले , पहली बार पहाड़ घूमने गए और वहा  के मौसम के बारे मे हमे कोई आइडिया नहीं था | ऐसी बारिश मैंने कभी देखी    नहीं थी | बारिश की वजह से रास्ते कटते  जा रहे थे    |बारिश तेज होती जा रही थी हमे घबराहट होने लगी थी  की हम किसी तरह बस होटल पहुच जाए | लेकिन मेरे  हसबेंड बहुत ही स्ट्रॉंग और अण्डरस्टैंडिंग है उनको पहाड़ो के मौसम के बारे मालूम था  इसलिए वी थोड़ा शांत थे | लेकिन जैसे- जैसे बारिश तेज होती जा रही थी,तो  वो भी परेशान होने लगे | किसी तरह हमने शहर मे एंट्री कर  लिया .... पर शायद ये रात  हमारे लिए भयानक रात थी |अन्दर  शहर मे इतना  लंबा जाम लगा था ... शायद बारिश की वजह से , जाम लग गया था | टॅक्सी मे बैठे -बैठे हम भी परेशान हो गए थे और डर  भी लग रहा था | आधे घंटे हो गए जाम खुलने का नाम ही नहीं | खैर हमे टॅक्सी वाल्व ने बोला ,,, की आप लोग उतर कर पैदल चले जाए तो बेहतर होगा वरना पता नहीं जाम कब तक खुलेगा |हम टॅक्सी से उतार गए और पैदाइ चलने लगे हमारा होटल भी थोड़ा   दूर था | इसलिए हमे काफी दूर तक पैदल चलना पड़ा | हमे ऊपर होटल की तरफ जाना था और बारिश हमारे उल्टे थी  जैसे लग रहा था की हम बारिश के साथ बह जाएंगे | फ़िर भी हमने बड़ी हिम्मत की और तेज कदमो से चलते रहे | ऐसी बारिश मैंने सिर्फ फिल्मों और टीवी सेरियल्स मे ही देखा था | आज  महसूस हो रह था सीन कितने नैचुरल तरीके से दिखाए जाते है|   एक तो ठंड उसपर से बारिश ,,, हम दोनों इतने भीग गैर थे की हमसे चला नहीं जा रहा था बारिश हमे धक्के मर कर कर नीचे की तरफ कर रही थी और हमारी चल बार -बार स्लो हो जा रही थी | उसी बारिश मे भीगी साड़ी मे मेरे दोनो पायल कब खुलकर बारिश के साथ  बह गए पता ही नहीं चला | खैर हम किसी तरह एक दूसरे का हाथ चल रहे थे | तभी हमे अपना होटल दिखाई दिया तो हमारी जान -जान मे जान आयी और हमे लगा की अब शायद हम बच जाएंगे....इस भयानक बारिश से | फ़िर हम कैसे भी करके होटल के अन्दर पहुच गए और फ़िर एक लंबी राहत की सांस ली और भगवान को ध्न्यबाद किया |
वो रात और वो बारिश हमे आज भी याद है जिसे हम कभी भी भ्लु नहीं सकते |



बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

मेरी माँ ..........





मेरी माँ .......... एक ऐसी शक्सीयत जिनकी बारे मे जितनी भी बाते करो कम है | हर माँ कि एक अलग ही छवि होती है | मै  भी एक माँ हू .....  मेरे
 बेटे के लिए मै अलग हू |  ऐसे ही हर माँ कि  अपने आप मे एक  मिसाल होती है |
मेरी माँ दूसरों से थोड़ा सा अलग थी | वो हमेशा जो भी करती दिल से 

करती थी ,उनको कभी किसी से कोई  शिकायत नहीं थी |उनको किसी 
चीज का लालच नहीं था वो सदा परिवार के लिए जीती थी | वो जब भी 

हसती थी दिल से हसती और जब कभी दुखी होती तो पल भर के अंदर उनका गुस्सा गायब हो जाता | वो ज्यादा देर किसी से नाराज रह नहीं 
पाती थी और ना  ही उनसे कोई नाराज रह पाता था वो तुरंत  सबको अपने प्यार से मना  लेती थी | वो सबके लिए  एक उदाहरण थी | सब उनको बहुत इज्जत और सम्मान देते  थे |

हम चार भाई -बहन है ,सबको उन्होने अच्छे  संस्कार दिया |प्यार दिया , अच्छी शिक्षा दी | हमे इस काबिल बनाया कि हम अपने जीवन मे हमेशा खुश और सुखी  रह सके |  

एक सम्पूर्ण महिला थी वो....  हर काम मे एक्सपर्ट ,खाना बनाना तो उनका शौक था | वो भी जल्दी और स्वादिस्ट | अगर कोई अचानक आ जाता , समय चाहे दोपहर के खाने का हो या रात के खाने का उनका खाना आधे घंटे के अंदर तैयार हो जाता |

मैंने उनकी ही पाक कला को उनकी धरोहर समझ कर अपना लिया है ... क्यो कि जब - जब मै  कोई डिश बनाऊँगी तब -तब मेरी माँ मेरे साथ होंगी |

आज वो हमारे बीच नहीं है पर हमारे साथ उनके दिये हुए संस्कार और शिक्षा हमारे साथ है | हमारे साथ  उनकी 
सुनहरी यादे है |

आज मै जब भी दुखी होती हु मुझे सिर्फ मेरी माँ कि याद आती है ,कभी -कभी  लगता है ... काश ! हमारे पास

कोई जादू कि छड़ी होती और उसकी सहायता से हम अपने उन प्रिय लोगो को अपने पास बुला लेते जो हमसे  दूर चले गए है |

बस मै यही   प्रार्थना करती हु कि  भगवान उनकी आत्मा को  शांति दे | वो जहा कही  भी हो हम सब को अपना आशिर्बाद देती  रहे |

क्योकि माँ ........... हम  सब को आपके आशिर्बाद कि बहुत जरूरत है , हम सब आपको बहुत याद करते है |

और  मै अगले जनम मे भी  यही चाहूंगी  कि मेरी यही माँ फिर से मुझे माँ बन कर  मिले |


रविवार, 4 अक्तूबर 2015

अकेलापन ...... घबराहट क्यो !

अकेलापन .....घबराहट क्यो...


जब हम कही  बहुत भीड़ वाली जगह पर होते है तो हम ये सोचते है कि कही  एक

 पल के लिए शांति मिल जाए तो अच्छा हो | जब हमारे घर मे कोई गेस्ट आता है

तो भी हम सोचते है कि वो जल्दी जाए और जल्दी शांति हो|

मतलब ये कि हम हमेशा शांति चाहते है , हमे एक पल कि शांति मिल जाए तो हमे बहुत ही शांति मिलती है |

शांति मतलब एकांत .......फिर हम अकेलेपन से क्यो घबराते है |जब हम हर समय

अकेलापन और शांति खोजते  रहते है तो हमे अकेलेपन से डर क्यो लगता है | सोच

कर ही घबराहट होने लगता है कि ...अरे हम अकेले है !

अकेले रहने का मतलब है कि हम अपने साथ रह रहे है | अपने आप को समय दे रहे

 है ,और अपने आप के साथ जी रहे है | जब हम अकेले होते है तो हम जैसे है वैसे

 ही अपने साथ होते है | पर जब हम किसी के साथ होते है तो हमे एक मुखौटे के 

साथ होना होता है |  अगर हमारा हसने का या बोलने का मन नहीं है तो भी हमे

 उसके साथ ये सारी भूमिका निभानी पड़ती है | तो फिर हमे अकेलेपन से डर क्यो

 लगता है | हम अकेले होकर जैसे होते है  वैसे ही अपने साथ होते है| हमे किसी भी

मुखौटे की जरूरत नहीं होती है |

आप अपने साथ थोड़ा टाइम स्पेंड कीजिये फिर देखिये आपको अकेले होने पर  कोई
 भी अवसाद नहीं होगा |

आज हमलोगो की जो जीवन शैली हो रही है उस हिसाब से तो हमे अकेले रहने की

 आदत को स्वीकारना ही होगा |

आज टेक्नोलोजी ने जितना ही हमे एक दूसरे से जोड़ा है ,उतना ही हम एक दूसरे से

 दूर भी होते जा रहे है ,ऐसे मे हम अकेले होते जा रहे है | आज के समय मे  अलग

 रहने का क्रेज बढ़ रहा है और हर कोई अकेले हो रहा है | तो जब हमारी पसंद ही

 अकेले रहना है तो फिर हमे  तनाव क्यो हो रहा है |

हमे अपने साथ रहने की आदत  डालनी चाहिए और ये आदत मजबूरी नहीं मर्जी

 होना चाहिए | क्योकि हम सबके साथ तो जी लेते है लेकिन अपने लिए कभी नहीं

 जी पाते ,अपने पर कभी ध्यान नहीं जाता और जब तक ध्यान जाता है तब तक

 बहुत देर हो चुकी होती है | 






शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

बच्चो से सीखे.....

                               बच्चो से सीखे 


हम बड़े हमेशा छोटी -छोटी बात पर घबरा जाते है ,और दुखी होकर निराश हो जाते है | क्योकि हमे  अपने जीवन

 मे  हमेशा कुछ ज्यादा ही पाने की  उम्मीद होती है | कुछ ज्यादा ही चाहत होती है | और जब वो उम्मीद पूरी नहीं
 होती है ,वो चाहत पूरी नहीं होती है तो हमे अवसाद मे चले जाते है | 

लेकिन अगर हम वही दूसरी तरफ अपने बच्चो को देखे तो हमे जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है | हम सिर्फ अपने बच्चो से सीख सकते है  कि हमे सच्ची खुशी  कहा मिल सकती है | 

जब आप अपने बच्चे को एक छोटा सा कोई भी खिलौना लाकर देते है तो उस खिलौने मे उसकी पूरी दुनिया
 सिमट जाती है | दिन  और रात वो उसी खिलौने से खेलता है ,उसी के साथ जीता है | एक बच्चे के लिए ये मायने नहीं रखता कि वो खिलौना कितने का है या कितना बड़ा है , वो सिर्फ उसको एक खिलौना मानकर उसके साथ खेलता है | 

लेकिन दूसरी तरफ हम बड़े ईगो मे परेशान रहते है कि हमारे पास ये नहीं  है , वो नहीं है | 

हम कभी भी उस चीज को देखकर खुश नहीं होते  है ,जो हमारे पास है बल्कि उस चीज से दुखी रहते है जो हमारे 

पास नहीं है |जो नहीं है उसीके  बारे मे सोचते रहते है |इस तरह से जो वस्तु हमारे पास है हम उसका एंजॉय नहीं

कर पाते है | और निराशा के साथ जीते रहते है |

आपका  स्कूल जाने वाला बच्चा ... ,जब उसको स्कूल के टीचर से एक छोटा सा स्टार मिल जाता है उसकी  छोटी सी मेहनत पर ......... तो दोस्तो क्या आपने  अपने उस बच्चे के  चेहरे की  खुशी देखी  है कि वो कितना 

खुश होता है |  हमारे लिए और उस टीचर के लिए उस स्टार की   कोई किमत नहीं है ,लेकिन उस बच्चे के लिए 

क्या किमत है ये आपको उससे पूछने  की कोई जरूरत नहीं है , आप सिर्फ उसके चेहरे की खुशी से अंदाजा लगा

 लीजिये उस स्टार की किमत की ............| जैसे सारे जहा की खुशी उसने पा  ली हो वो इस कदर खुश हो जाता है| |

बच्चे होते ही है मासूम और निश्चल , उनके लिए छोटी -छोटी खुशिया बहुत मायने करती है | 

लेकिन हमे हमेशा जीवन से कुछ ज्यादा चाहिए | 

इसीलिए मेरे  दोस्तो, हमे हमेशा अपने बच्चो से ही सीखते रहना चाहिए | उनकी तरह हमे भी छोटी -छोटी 

खुशियो मे अपनी बड़ी खुशी देखनी चाहिए | तभी हमे अपनी सच्ची खुशी का एहसास होगा और हम अपनी 

जीवन के सही मायने को देख सकेंगे और भरपूर आनंद ले सकेंगे |


बस करना ये है की हमे अपने बच्चो से ही हमेशा सीखते रहना है ............... | 

मंगलवार, 29 सितंबर 2015

अरमानों की महफ़िल ........

अरमानों की महफ़िल मे
कभी आकर तो देखो,
सपना उसमे कोई सजाकर देखो।
उसका प्यार  दिल मे बसाकर देखो।
जिदंगी बहार बन जाएगी,
जरा करीब उसकेआकर तो देखो।


सासो मे बन कर संगीत ,
बस जाएगा वो,
गीत कोई उसके गाकर तो देखो।
फूलो से महक उठेगी,
जीवन की बगिया ,
जीवन मे उसके फूल खिलाकर देखो।
जरा करीब उसके आकर तो देखो।



सोमवार, 28 सितंबर 2015

आशा और निराशा...|

आज हमारे जीवन में तनाव बढ़ रहा है।आज के समय मे हमारे पास खुद के लिए ही समय नही है, हम दूसरों के 

लिए समय कहा से निकाल सकते है। आप खुद सोचिए ....क्या ये सही है | हम हर पल तनाव मे जी रहे है | कही 

से कोई आशा नहीं है की हम तनाव मुक्त जीवन कब जी सकेंगे | 


.... लेकिन देखा  जाए तो सब कुछ हमारे हाथ मे है |  हम भी बेफिक्र होकर तनाव मुक्त जीवन जी सकते है | 

रुकावट ,दुख, नुकसान तो  जीवन के सत्य है , जो हर इंसान के जीवन मे जरूर आते  है | जब भी हम अपने 
जीवन से या अपने किसी करीबी से ज्यादा पाने की इच्छा रखते है और हमे वो नहीं मिलता तो हमे तुरंत अवसाद हो जाता हमे  तुरंत चिंता  हो जाती है और   निराशा् तुरंत हमारे जीवन में घर कर लेती है |

जब हमे अपनी मर्जी के अनुसार कुछ नहीं मिलता तो हम निराश हो जाते है | 

लेकिन अगर हम अपनी असफलता को दूसरे रूप मे ले तो भगवान हमे सफलता का रास्ता दिखाता है | लेकिन 

  ,हम इतना ज्यादा निराश हो चुके होते है की हमे वो दूसरा रूप या रास्ता दिखता ही नहीं है और न ही हम 
देखने की कोशिश करते है | 

भगवान तो हमारे साथ हमेशा रहता है चाहे हम दुखी हो या सुखी | बस हमे अपने दुख मे हिम्मत रखने की
 जरूरत होती है .... आशा की किरण तो भगवान दिखाता है बस  हमे देखने की जरूरत होती है |


अगर हम अपना मन शांत रख कर उस रास्ते पर चलने की कोशिश करे जो हमे  अपने दुख के कारण दिख नहीं रहा था तो जरूर हमे भी सफलता मिलेगी और वो सब कुछ हासिल होगा जो हम अपने जीवन से चाहते है |

बस हमे सकारात्मक सोच के साथ आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है |जब हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हमे

हर तरफ नई आशा की किरण दिखेगी ,नए रास्ते दिखेंगे ,नयी मंज़िले मिलेंगी | 

जरूरत है तो बस सकारात्मक  सोच के साथ एक नयी सुबह से शुरुआत करने की ..........| 




शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

आज का दिन ...... शिक्षक दिवस |

गुरु ......हमारे जीवन मे गुरु का सबसे बड़ा महत्व है , अगर गुरु न हो तो हमे सही - गलत बताने वाला कोई नहीं
 है | कहते है पहली शिक्षा हमे घर से मिलती है दूसरी स्कूल से जो हमे गुरु देता है |

शिक्षक दिवस हम इसीलिए मानते है की हम अपने गुरुओ को सम्मान दे सके ,उनका आदर कर सके |

उन्ही  गुरुओ के सम्मान मे मैंने कुछ लाईने लिखी है , जो इस शिक्षक दिवस पर शिक्षको को समर्पित है ----


आज का दिन है पावन ,आज है शिक्षक दिवस |
आज का दिन है मनभावन ,आज है शिक्षक दिवस |

त्याग ,करुणा और क्षमा की ,
ज्ञान बुद्धि अरुणिमा की ,
ज्ञान घाट के के परिक्रमा की ,
आज खिलता ज्ञान उपवन 
आज का दिन है पावन , आज है शिक्षक दिवस |

हम सब है विद्यार्थी ,
हम सब है शिक्षार्थी ,
जो दे रहा है ज्ञान हमको,
आज शत -शत उसको नमन 

आज का दिन है पावन ,आज है शिक्षक दिवस |
आज का दिन है मनभावन ,आज है शिक्षक दिवस |








हम बच्चे !
करते है नमन इस दिवस को ,
शिक्षक मेरे भगवान जैसे ,
गढ़ते है मूरत धैर्य से 
जीवन की हमारे ...... 
प्रेम से पुचकार से ,
डाट से फटकार से । 
माजते मन को हमारे , 
साजते तन को हमारे ,
तराश कर स्वर्णिम भविष्य ,
कर देते हमको सफल ... 
कि ,मिले जीवन भर हमे ,
सुख -शांति का मीठा फल |

हम बच्चे ! 
करते है नमन ,इस दिवस को ,
शुद्ध -बुद्ध ज्ञानमय शिक्षक  दिवस को |||




रविवार, 20 सितंबर 2015

जीवन का मूल्य ........ कोशिश

                                              जीवन का मूल्य .... कोशिश 



 हमेशा हमारे जीवन मे कुछ न कुछ बदलता रहता है , कभी भी ये जीवन एक जैसा नहीं रहता | परिस्थितिया 

एक जैसी हमेशा नहीं रहती |  जीवन मे सफलता -असफलता ,लाभ -हानी, जय- पराजय के अवसर एक मौसम 

के  समान है , कभी कुछ भी स्थिर नहीं रहता | जिस तरह इंद्रधनुष के लिए धूप और बारिश दोनों की जरूरत

 पड़ती है , बिलकुल उसी तरह ये जीवन भी सुख -दुख का संगम है | और एक पूर्ण व्यक्ति बनाने के लिए हमे  

जीवन के सभी अनुभवो से गुजरना पड़ता है | 

हमारे जीवन मे अच्छा वक्त भी और बुरा वक्त भीआता  है ,सुख भी है दुख भी है | जहा अच्छा वक्त हमे  सुख 

और शांति देता है वही बुरा वक्त हमे मजबूत बनाता है | हम अपने जीवन मे सभी परिस्थितियो को नियंत्रण मे 

तो नहीं रख सकते पर एक सकारात्मक सोच के साथ उसका सामना तो कर ही सकते है |


कभी भी अपने किसी भी असफलता से घबरा कर  अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ना  चाहिए  कभी भी घबरा कर
 अवसाद मे नहीं जाना चाहिए |

अगर हम इतिहास को देखे तो ऐसे कई उदाहरण हमे मिल जाएंगे जो अपने जीवन मे कई बार असफल हुये 

लेकिन हार  नहीं मानी और अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा इसलिए बाद सफलता ने उनके कदम चूमे |

मित्रो , हर रात के बाद सुबह होती है , और वो सुबह हमेशा  एक नई जोश के साथ आती है कुछ नया करने के लिए | 
जिंदगी हसाती  भी है और रुलाती भी है |अगर हमारे अन्दर कुछ करने की चाह है तो सफलता हमेशा हमारे साथ

रहेगी | जिंदगी भी उसी के आगे सर झुकाती है जो हर हाल मे आगे बढ़ना चाहता है , आखिर जीवन मे कौन सा 

ऐसा काम है जो इंसान नहीं कर सकता बस हमे हिम्मत रखनी होगी , आज नहीं तो कल हमे अपना लक्ष्य जरूर
 प्राप्त  होगा |

अगर हम बीच मे रुक गए तो हमे हमेशा अफसोस रहेगा की काश ! मैंने कोशिश  की होती | इस काश को अपने जीवन से हटाकर आगे बढ़ते रहना  है|

दोस्तो, हमे अपना लक्ष्य सोचकर आगे बढ्ना  चाहिए | वो कहते है ना ----"लहरों के डर से नौका पार नहीं होती

 ,कोशिश करने वालों की हार नहीं होती " इस मंत्र को अगर हम अपने जीवन मे उतार ले तो हम हर मुश्किल  को पर कर लेंगे |

इसलिए हमे हर समय कोशिश करते हुये आगे बढ़ते रहना  चाहिए ....... सफलता आपके पास होगी |




रविवार, 13 सितंबर 2015

खामोशी ......और खामोशी |

                                                              "खामोशिया  ...."

खामोशियों मे डूबी ये जिंदगी ,महफिल को तरस गयी है ,

याद तुझे करते -करते मेरी आंखे बरस  गयी है |

तेरी यादों का मौसम कभी न खत्म होने वाला मौसम है ,

तेरे ना  होने का एहसास ,दिल को सताता रहता है ,

खामोश रह कर तुझे ही याद करता है |

तेरी हर आहट मेरी खामोशी को तोड़ती है,

मगर फिर वही आहट मेरी खामोशी बन जाती है |

और फिर एहसास होता है तुम तो हो ही नहीं ,कही नहीं हो .... 

और फिर मेरी जिंदगी खामोशियो  मे डूब जाती है | 

पंख कहा बिकते है ......................मेरे हमदम

                                                           " मेरे हमदम "


पंख कह बिकते है , मेरे हमदम, 

बोलो खरीद कर दोगे ......
मै उड़ना चाहती हू ,

अंबर से भी ऊंचे तक |

वक्त कहा रुकता है मेरे हमदम ,

बोलो पता लाकर दोगे ............ 

मै उसे रोकना चाहती हू ,

तुम्हारे दर पर आने तक |

ये, आँसू कहा गिरते है मेरे हमदम ,

बोलो मुझे बताओगे ............ 

मै सब आँसू लेना चाहती हू ,

आंखो के पोर सुखने तक |

प्यार , कैसे देते है मेरे हमदम ,

बोलो मुझे दोगे .........

ढेर सा प्यार लेना चाहती हू ,

देना चाहती हू अपनी जीवन के अंत तक |