रविवार, 11 अक्तूबर 2015

मनाली की एक रात ................


सन 2006  अगस्त .............. जैसा  सभी शादी के बाद घूमने का प्लान करते  है , वैसे ही  हमने भी  प्लान  बनाया मनाली घूमने का,
अगस्त का महिना , बारिश का मौसम  होता है| हम मनाली के लिए निकल गए  तीन दिनो  का प्रोग्राम था हमारा | हमने दिन मे सफर करने की सोची क्योकि पहाड़ो की जो ब्यूटी रास्ते मे होती वो देखने ही लायक होती है |
चंडीगढ़ से मनाली ............. हम देर शाम तक मनाली पहुच गए | रास्ते की ढेर सारी खूबसूरती  हमारी आंखो मे बसी हुई थी |
 अगले दिन हम पूरा दिन मनाली घूमते रहे | पहाड़ी इलाके की जो खूबसूरती होती है वो कही नहीं होती  है उसपर मौसम  भी
 ठंडा ..... दोनों का अपना  ही  ताल -मेल है |

दूसरे दिन हमने प्लान किया रोहतांग जाने का | सुबह ही हम टॅक्सी के द्वारा रोहतांग के लिए निकल पड़े , पूरा रास्ता रोमांचकारी था | इतना आनंद आया की मेरे पास उसको बताने के लिया शब्द नहीं है |
हमे बहुत  देर हो गयी , बारिश भी शुरू हो गयी थी टॅक्सी वाले ने बोला की अगर हम जल्दी नहीं निकलेंगे तो फस जाएंगे जब तक हम रोहतंग से नीचे आए तब तक रात होने वाली थी और अभी मनाली करीब 10  किलोमीटर दूर था | बारिश और ज़ोर से होने लगी थी सभी परेशान थे | हम मैदानी इलाके मे रहने वाले , पहली बार पहाड़ घूमने गए और वहा  के मौसम के बारे मे हमे कोई आइडिया नहीं था | ऐसी बारिश मैंने कभी देखी    नहीं थी | बारिश की वजह से रास्ते कटते  जा रहे थे    |बारिश तेज होती जा रही थी हमे घबराहट होने लगी थी  की हम किसी तरह बस होटल पहुच जाए | लेकिन मेरे  हसबेंड बहुत ही स्ट्रॉंग और अण्डरस्टैंडिंग है उनको पहाड़ो के मौसम के बारे मालूम था  इसलिए वी थोड़ा शांत थे | लेकिन जैसे- जैसे बारिश तेज होती जा रही थी,तो  वो भी परेशान होने लगे | किसी तरह हमने शहर मे एंट्री कर  लिया .... पर शायद ये रात  हमारे लिए भयानक रात थी |अन्दर  शहर मे इतना  लंबा जाम लगा था ... शायद बारिश की वजह से , जाम लग गया था | टॅक्सी मे बैठे -बैठे हम भी परेशान हो गए थे और डर  भी लग रहा था | आधे घंटे हो गए जाम खुलने का नाम ही नहीं | खैर हमे टॅक्सी वाल्व ने बोला ,,, की आप लोग उतर कर पैदल चले जाए तो बेहतर होगा वरना पता नहीं जाम कब तक खुलेगा |हम टॅक्सी से उतार गए और पैदाइ चलने लगे हमारा होटल भी थोड़ा   दूर था | इसलिए हमे काफी दूर तक पैदल चलना पड़ा | हमे ऊपर होटल की तरफ जाना था और बारिश हमारे उल्टे थी  जैसे लग रहा था की हम बारिश के साथ बह जाएंगे | फ़िर भी हमने बड़ी हिम्मत की और तेज कदमो से चलते रहे | ऐसी बारिश मैंने सिर्फ फिल्मों और टीवी सेरियल्स मे ही देखा था | आज  महसूस हो रह था सीन कितने नैचुरल तरीके से दिखाए जाते है|   एक तो ठंड उसपर से बारिश ,,, हम दोनों इतने भीग गैर थे की हमसे चला नहीं जा रहा था बारिश हमे धक्के मर कर कर नीचे की तरफ कर रही थी और हमारी चल बार -बार स्लो हो जा रही थी | उसी बारिश मे भीगी साड़ी मे मेरे दोनो पायल कब खुलकर बारिश के साथ  बह गए पता ही नहीं चला | खैर हम किसी तरह एक दूसरे का हाथ चल रहे थे | तभी हमे अपना होटल दिखाई दिया तो हमारी जान -जान मे जान आयी और हमे लगा की अब शायद हम बच जाएंगे....इस भयानक बारिश से | फ़िर हम कैसे भी करके होटल के अन्दर पहुच गए और फ़िर एक लंबी राहत की सांस ली और भगवान को ध्न्यबाद किया |
वो रात और वो बारिश हमे आज भी याद है जिसे हम कभी भी भ्लु नहीं सकते |



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