बुधवार, 26 दिसंबर 2018

पुरानी यादें ....!







आज पुरानी  यादों  ने दिल को दस्तक दिया 
खुल गयी तेरी यादों  की किताब 
 फिर से याद आयी तेरी वो पुरानी यादें, 
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें 
फिर तेरा एहसास करा गयी दिल को 
तेरी वो पुरानी  यादें ....!

याद आये  तेरे साथ गुज़ारे  हुए कुछ लम्हे,
तेरा प्यार, प्यार का  एहसास और...  
कुछ हसती  हुई कुछ रोती  हुई , 
तेरी वो पुरानी  यादें ....|  

यादों की किताब के अल्फ़ाज़ भी बोल पड़े 
तुझे याद करके वो भी रो पड़े 
क्योकि....वो भी तनहा है मेरी  यादों के जैसे  
और रह गयी  तनहा और  खामोश 
तेरी वो पुरानी यादें.....| 


वक्त बेवक्त चली आती है तेरी  यादें 
आकर मुझको रुला जाती है तेरी यादें 
खमोश कर जाती मुझे हमेशा की तरह 
जब भी आती है तेरी वो पुरानी  यादें ....| 

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

ये एक रिश्ता है...







ये एक रिश्ता है...

बेनाम..... मगर नाम सा

न हासिल होने का मतलब

मगर जुदा होने का डर

न कुछ खोने की चिंता

न  कुछ पाने  की चाहत

फिर भी है वो दिल के

बिलकुल करीब,  लगता है

बिलकुल अपना सा

मेरी मुहब्बत तो नहीं  वो

पर मुहब्बत से भी ज़्यादा है

मेरी जरुरत भी  नहीं  वो

लेकिन है मेरे लिए  जरुरी  सा

जाने क्या है और कैसा है

क्यूँ है और कैसे है,

अनजान है मगर जाना सा

बिलकुल पहचाना सा

क्योकि ..... ये रिश्ता है

तेरा और मेरा और हमारे प्यार का ...| 

सोमवार, 3 दिसंबर 2018

मेरे यार से हसीं कुछ भी नहीं





मेरे यार से  हसीं कुछ भी  नहीं 
उसके प्यार से  हसीं कुछ भी नहीं, 

फूलों की तरह नाज़ुक है वो 
सच की तरह खूबसूरत है वो, 

मेरी पलकों में बसा हुआ  मेरा ख्वाब है वो 
मेरी दुनिया मेरा इंतखाब है वो, 

मेरी मुहब्बत मेरा मुक़द्दर है वो 
मेरा अक्स भी और  मेरा वजूद है वो, 

मेरे जीने की वजह मेरा मक़सद है वो 
मेरी आदत मेरी जरुरत है वो, 

मेरी जिंदगी मेरी चाहत है वो   
मेरा दिल मेरी धड़कन है वो, 

दुआ है मेरी खुदा से जब भी देखूँ 
उसका ही चेहरा देखूँ ,
पा लूँ उसका प्यार हमेशा के लिए 
क्योकि .... 
उसके प्यार से हसीं कुछ भी नहीं 
मरे यार से  हसीं कुछ भी  नहीं...| 

रविवार, 18 नवंबर 2018

ऐ मेरे सनम....



तेरे आंसूओ की कीमत का 
तुझे क्या पता मेरे सनम,

तेरे हर आँसू की एक बूँद पर 
कुर्बान मेरा सारा जीवन 

तेरे आँसू को मैं अपनी पलकों पर 
ले लू यही हैं  मेरी कोशिश  

तेरे होठो पर हँसी  बिखेर दूँ 
यही है मेरी ख़्वाहिश,   

खुशियों को रख दूँ मैं तेरे कदमो में 
यही है मेरी खुदा से  गुज़ारिश,

ग़म का हो साया तेरे जीवन में   
भर दूँ मैं हसरतो से तेरा दामन ,


मेरी जिंदगी....


मेरी जिंदगी मुझसे इतनी रुसवां  क्यूँ है
हर किसी से इतनी जुदा  क्यू है...|   

भीड़ से घिरी हूँ  मैं  हरदम..फिरभी,
मेरा दिल इतना तनहा क्यूँ  हैं.....|  

पलके भरी है मेरी सपनो से ...फिरभी
नींद से जागना इतना दुखदायी क्यूँ  है...|  

हर तरफ चाहत है जिंदगी में ...फिरभी
मुझे  जिंदगी से शिकायत क्यूँ  है....|  

हर पल मेरे तस्सवुर में  तुम हो .. फिरभी
हर वक्त  तन्हाई का आलम क्यूँ  है...|  

हर दम बिखरी है मुस्कराहट होठो पर...फिरभी
आँखों में आँसूऔ का दरिया क्यूँ  है....|  

मालूम है मुझे तुम कही नहीं हो। ..फिर भी,
इस दिल को तुम्हारा इन्तजार क्यूँ हैं  ....| 

सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

जख्म गैरो ने नहीं.....





जख्म गैरो ने नहीं अपनो  ने दिए है 
किस्सा क्या सुनाऊ बेवफाई का 
आँसूओ  का तोहफा मिला है वफ़ा के बदले,

खंजर बन कर चुभ रही है तेरी यादे 
नासूर  बन  गयी  है तेरी मुहब्बत   
ज़ख्म ही ज़ख्म दे दिया तुमने मेरी मुहब्बत के बदले

ताश के पत्तो सा तोड़ा तुमने मेरे दिल को 
बिखेर दिया मेरे सपनो के महल को 
हक़ीक़त दिखा  दी तुमने मुझे मेरे ख्वाब के बदले

कितनी ख़ामोशी से प्यार का क़त्ल किया तुमने 
तो खुद कुछ कहा मुझे कुछ कहने दिया 
दे दी खमोशी तुमने  मुझे मेरे अल्फ़ाज़ के बदले...... | 

आज मेरी बेटी ......




हमसे सारा नाता छोड़ चली 
सपनें सारे तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

कल तक अपनी बातो से जो हसाती थी 
रूठ जाऊ अगर मैं उससे तो मुझे मनाती थी 
आज रूठना-मनाना सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

बिताया उसने अपना बचपन मेरे आंगन में 
देखे अपने सारे  सपने उसने मेरे दामन  में 
आज वो सब बंधन तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़  चली

खेल- खिलौने गुड़िया-गुड्डा 
शाम होते ही जिनका लगता था मेला 
वो खेल -खिलौने सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

गूँज रही है आँगन में आज शहनाई 
हर तरफ मंगल गीत और खुशिया है छाई 
आज नए लोगो से नया रिश्ता जोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली....|