सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

आज मेरी बेटी ......




हमसे सारा नाता छोड़ चली 
सपनें सारे तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

कल तक अपनी बातो से जो हसाती थी 
रूठ जाऊ अगर मैं उससे तो मुझे मनाती थी 
आज रूठना-मनाना सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

बिताया उसने अपना बचपन मेरे आंगन में 
देखे अपने सारे  सपने उसने मेरे दामन  में 
आज वो सब बंधन तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़  चली

खेल- खिलौने गुड़िया-गुड्डा 
शाम होते ही जिनका लगता था मेला 
वो खेल -खिलौने सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

गूँज रही है आँगन में आज शहनाई 
हर तरफ मंगल गीत और खुशिया है छाई 
आज नए लोगो से नया रिश्ता जोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली....|  


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