शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मेरा आईना




कहते है आईना कभी झूठ नहीं बोलता 

ये सच है मेरा भी  आईना मुझसे 

कुछ कहता है..... 

आईना  में  देखकर मैं मुस्कुराती हूँ 

लेकिन... वो कुछ सच बोलना चाहता है 

वो कहता है  मैं वो नहीं  हूँ 

जो दिखती हूँ आईने में 

वो मुझे घूरता है 

वो मुझे  सोचता है 

 क्या मैं भी सत्य से भाग रही  हूँ 

क्या खुद को पहचान रही हूँ

जो आईने की बात नहीं समझती 

या मैं  समझना नहीं चाहती 

मैं तो शायद जीना चाहती हूँ 

एक झूठ के परत लेकर

एक खोखली सी उम्मीद लेकर 

मगर क्या ऐसा होगा की क्या

मैं सत्य से परे होकर  जी पाऊँगी 

क्या मैं जी पाऊँगी कुछ  झूठी उमीदो पर  

सपनो को खोकर, अरमानो को छोड़कर 

शायद नहीं .... और यही सच है जीवन का 

जो आईना अक्सर कहता रहता है 

क्योकि.....आईना कभी झूठ नहीं बोलता 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

जीवन एक किताब



 मेरा जीवन एक किताब बन गया और 
तुम मेरे हर पन्ने  पर शामिल होते जा रहे हो 
बन कर मेरे प्यार  का  फूल 
बेइंतहा मेरी जीवन को महका  रहे हो 
मैं  खुद को रोकती हूँ 
दिल को टोकती हूँ 
मगर तुम मेरी साँसों में शामिल होते जा रहे हो 
मुझे मालूम है की तुम मेरे नहीं हो 
फिर भी ये दिल तुम्हारे नाम से धड़क रहा है 
सर्दी की धुप की तरह  हो तुम 
ढलती हुई शाम की तरह  हो तुम 
कहना है तुमसे सिर्फ यही की 
बेइंतहा मुहब्बत है तुमसे 
मगर डरती हूँ की ये सुनकर 
कही तुम रूठ   जाओ 
इसीलिए बैठी हूँ तुम्हारे  इन्तजार में 
कभी तो तुम्हे  भी एहसास होगा 
मेरी मुहब्बत का 
कभी तो तुम इज़हार करोगे मुझसे 
अपनी मुहब्बत का ....|

रोज़ न जाने





रोज़ रोज़ न जाने कितनी बाते 
मैं करती हूँ तुमसे ....  
कुछ बयां हो जाते  है तो 
कुछ थम से जाते है 
ये तुम्हारा एहसास ही तो है 
जो मेरे जुबाँ तक आ जाता  है 
ये तुम्हारे जज़्बात ही तो है 
जो आँखों से छलक  जाते है 
कितनी ही बाते है जो तुम्हे बतानी है 
कितने ही एहसास है जो तुम्हे जताने है 
तेरे प्यार की गर्माहट से 
थमे  हुए शब्दों को पिघलाने है 
पिघले हुए जज्बातों को  तेरे 
सामने बहा देना है  
तेरे प्यार से खुद को  भिगो कर 
तेरे साथ में बह जाना है 



सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार.....















कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार

सर्द सुबह में धुंध से लिपटी
फिजाओं सा है प्यार
अर्ध रातों में शर्म से सिमटी
अदाओं सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार

मीरा सा पागल, अधूरी राधा के
इन्तजार सा है प्यार
गंगा सा निर्मल, पूरी गीता के
हर सार सा है प्यार
कैसे बतलाऊ कैसा है ये प्यार

हीर की हर मंजिल में रान्झे की
राह सा है प्यार
मजनू के हर घाव में लैला की
आह सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार

सबरी के चखे उन मीठे जूठे बेरों
सा है प्यार
अहिल्या ने चूमे राम के पावन पैरों
सा है प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार

इतना सच्चा, इतना पवित्र कैसे
है ये प्यार
तो बस तू मुझमें, मैं तुझमें ऐसे
है ये प्यार
कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ।।