गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

जीवन एक किताब



 मेरा जीवन एक किताब बन गया और 
तुम मेरे हर पन्ने  पर शामिल होते जा रहे हो 
बन कर मेरे प्यार  का  फूल 
बेइंतहा मेरी जीवन को महका  रहे हो 
मैं  खुद को रोकती हूँ 
दिल को टोकती हूँ 
मगर तुम मेरी साँसों में शामिल होते जा रहे हो 
मुझे मालूम है की तुम मेरे नहीं हो 
फिर भी ये दिल तुम्हारे नाम से धड़क रहा है 
सर्दी की धुप की तरह  हो तुम 
ढलती हुई शाम की तरह  हो तुम 
कहना है तुमसे सिर्फ यही की 
बेइंतहा मुहब्बत है तुमसे 
मगर डरती हूँ की ये सुनकर 
कही तुम रूठ   जाओ 
इसीलिए बैठी हूँ तुम्हारे  इन्तजार में 
कभी तो तुम्हे  भी एहसास होगा 
मेरी मुहब्बत का 
कभी तो तुम इज़हार करोगे मुझसे 
अपनी मुहब्बत का ....|

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