बुधवार, 26 सितंबर 2018

ना तुम कुछ कहो



आज ना  तुम कुछ कहो ना मैं कुछ कहूँ 
आज दोनों ख़ामोश रहकर ....  
अपनी खामोशियों को लब्ज़ दे देते हैं 
चलो आज खामोशियों को ही पढ़ लेते हैं 
कुछ तुम पढ़ लेना कुछ मैं  समझ लेती  हूँ 

चलो आज वक्त से एक लम्हा चुराते है 
उस लम्हे में हम दोनों खो जाते है 
तुम मुझमे गुजर जाना मैं तुझमे खो जाती हूँ 

चलो आज कुछ शब्दों के गुलदस्ते बनाते है 
कुछ अल्फ़ाज़ों के फूल चुन कर लाते है 
कुछ लफ्ज़ तुम दे देना कुछ मैं  चुन लेती हूँ 

चलो आज प्यार का एक धुन बनाते है 
कुछ सुरीला  सा दोनों गुनगुनाते है 
कुछ संगीत तुम दे देना कुछ सुर मैं लगा लेती हूँ 

चलो आज चांदनी रात में डालकर 
हाथो में हाथ कही घूमकर आते है 
दो कदम तुम चल लेना 
दो कदम मैं बढ़ा देती हूँ  .....| 

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

इसको कोई नाम न दो...



तेरा मेरा रिश्ता है ये, 
इसको कोई  नाम न दो...|  

हर आहट  पर लगता तुम हो,
मेरी हर धड़कन में तुम हो ,
इंतज़ार में काट रही हूँ..... 
जीवन मेरे प्राण तुम्ही हो...| 

रिश्ते- नातो की शान तुम्ही हो  
बाकि सब कुछ कपास से भी हल्के है, 
इनमे क्या कुछ गहराई है 
नहीं -नहीं है बिलकुल उथले ..| 
 
निश्चित ही है बिलकुल मेरा                    
तुमसे प्रेम, सिर्फ निस्वार्थ प्रेम, 
नैन मूँद कर, तेरी छवि से 
पूछा करती  हूँ कुशल क्षेम ...| 
 
इस अनाम  सम्बन्ध को 
भला कोई संज्ञा क्या दोगे, 
प्रेम डोर में बंधे हुए हम 
क्या तुम इसको तोड़ सकोगे ....|  

जो कुछ है सब कुछ 
ऐसे ही रहने दो... 
कोई भी इल्जाम न दो, 
ये रिश्ता यूँ  ही रहने दो 
इसको कोई नाम न दो....|  

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

आज भी तुम






आज भी तुम अक्सर मेरी आँखों से छलक जाते हो 
और मैं  तुम्हे समेटने की कोशिश करती हूँ पर 
तूम आँखों से निकल कर गालो के रस्ते खुद ही
समां जाते हो वापस मेरे अंदर.....|  

आज भी तुम हर बारिश में पानी की बूँदों से 
मेरी खिड़कियों पर अपना अक्श बनाते हो 
और मैं  तुम्हे जब तक महसूस करती हूँ 
तब तक तुम हो जाते हो मेरी आँखों से ओझल .... | 

आज भी तुम रोज मेरी ख्वाबो में आते हो 
अपने होने का एहसास करा जाते हो 
सोचती हूँ सोती रहूँ मैं आँखे खोलू 
 पर आँखे खोलते ही  तुम दूर चले जाते हो.....| 

आज भी तुम हो तो मैं हूँ तुम्हारी यादे है 
तो मेरी साँसे है मेरी धड़कन है 
भले ही बदल गया सबकुछ  
मगर मेरी  आँखों में तुम ही नजर आते हो ....| 

आज भी अपने दिल की चाहतो के साये में 
तेरी उम्मीद के दियो को जला रखा है 
आज भी आती है दिल से आवाज 
तुम थे, तुम ही हो, तुम ही रहोगे 
कसक बनकर नहीं....  बनकर 
मेरा प्यार महकते रहोगे मेरी साँसों में....| 




शनिवार, 15 सितंबर 2018

एक था बचपन ....





एक था बचपन जो सिर्फ बचपन था 
खुशिया थी लड़कपन  था.... | 

चाहत थी  चाँद को छु लेने की 
पर दिल तितली के पीछे दीवाना था, 

कुछ खबर नहीं होती कब सुबह से शाम हुई 
बस हंसी, ठिठोली और मस्तानापन  था, 

रात को माँ और उनकी कहानिया. 
उन कहानियों में राजा-रानी और 
परियो का अफ़साना  था..... |  

बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना 
नाव को चलाना, चलते देखकर खुश हो जाना 
ये था वो बचपन  जिसमे हर मौसम सुहानां था...|  

वो बचपन भी कितना हसीं था जिसमे 
कोई ग़म नहीं  था.... मासूम आँसू  था   
और.. सिर्फ खुशियों का खजाना था...|  

हर एक पल को जीना आदत थी 
न कुछ जरुरी था न कोई जरुरत थी 
सिर्फ रूठना और मानना था..  
एक था बचपन जो सिर्फ बचपन था .....|  

सोमवार, 10 सितंबर 2018

तुम....




अपना सर्वस्व तुम्हे सौप कर 
जब मैं  सांस लेती हूँ, 
तुम समां जाते हो मेरे अंतस में 
मेरी आत्मा तक,
स्पर्श कर लेते हो मेरी रूह को,
तब मैं.... मैं नहीं रह जाती   
हो जाती हूँ तुम....  
खो जाती हूँ तुम में 
ऐसा लगता है सब कुछ, 
खो गया है मेरा और 
सिर्फ तुम ही तुम हो 
मेरे अंदर.... 
मेरा कुछ भी नहीं 
सब तुम्हारा है 
मेरा वज़ूद भी तुम 
मेरा एहसास भी तुम 
मेरा प्यार भी तुम 
मेरे सम्पूर्ण जीवन का 
सरोकार भी तुम.....|   

गुरुवार, 6 सितंबर 2018

कौन हूँ मैं अज़नबी..?







कौन हूँ मैं अज़नबी..?
इस विस्तृत संसार में अकेला 
समय जल सा बह रहा.... और मैं 
समय  के साथ में 
इक धरे देह में...डोंगी नाव सी 
खे रहा हूँ थम कर पतवार पुरुषार्थ की...!


कौन हूँ मैं अज़नबी..?
मिल गया कोई सफर में 
थम ली जो बाहे पल में 
नेह का स्पर्श मन को जो ही मिला 
त्यों ही अचानक..... 

इक समय की धार... निष्ठुर 
ने कर दिया उसको विलग 
मैंने बहुत पुकारा भी उसे. ..पर   
बह गया वह समय की धार में 
खो गया वह कही संसार में...