सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

जख्म गैरो ने नहीं.....





जख्म गैरो ने नहीं अपनो  ने दिए है 
किस्सा क्या सुनाऊ बेवफाई का 
आँसूओ  का तोहफा मिला है वफ़ा के बदले,

खंजर बन कर चुभ रही है तेरी यादे 
नासूर  बन  गयी  है तेरी मुहब्बत   
ज़ख्म ही ज़ख्म दे दिया तुमने मेरी मुहब्बत के बदले

ताश के पत्तो सा तोड़ा तुमने मेरे दिल को 
बिखेर दिया मेरे सपनो के महल को 
हक़ीक़त दिखा  दी तुमने मुझे मेरे ख्वाब के बदले

कितनी ख़ामोशी से प्यार का क़त्ल किया तुमने 
तो खुद कुछ कहा मुझे कुछ कहने दिया 
दे दी खमोशी तुमने  मुझे मेरे अल्फ़ाज़ के बदले...... | 

आज मेरी बेटी ......




हमसे सारा नाता छोड़ चली 
सपनें सारे तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

कल तक अपनी बातो से जो हसाती थी 
रूठ जाऊ अगर मैं उससे तो मुझे मनाती थी 
आज रूठना-मनाना सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

बिताया उसने अपना बचपन मेरे आंगन में 
देखे अपने सारे  सपने उसने मेरे दामन  में 
आज वो सब बंधन तोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़  चली

खेल- खिलौने गुड़िया-गुड्डा 
शाम होते ही जिनका लगता था मेला 
वो खेल -खिलौने सब छोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली

गूँज रही है आँगन में आज शहनाई 
हर तरफ मंगल गीत और खुशिया है छाई 
आज नए लोगो से नया रिश्ता जोड़ चली 
आज मेरी बेटी मेरा घर छोड़ चली....|  


शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

माँ जैसा कोई नहीं,

जिंदगी की धुप में छाँव का रूप है माँ 
धरा पर ईश्वर का स्वरुप है माँ,

हमारे जीवन की अभिलाषा  है माँ 
हम एक शब्द है तो पूरी परिभाषा है माँ, 

बड़े ही जतन  से पालति है माँ 
हमारी हर मुश्किल हर लेती है माँ, 

हमारा सम्मान है और अभिमान है माँ 
ईश्वर का प्यारा सा वरदान है माँ,

संवेदना है, भावना  है, एहसास है माँ 
फूलो की खुशबू का आभास है माँ, 

त्याग है, तपस्या है, सेवा  है माँ
पूजा की थाली तो मंत्रो का जाप है माँ, 

माँ जैसा कोई नहीं, सबसे प्यारी और न्यारी है माँ 
हमारी खुशियों की फुलवारी है माँ...|