शुक्रवार, 1 मार्च 2019

कौन हूँ मैं...





आखिर कौन हूँ मैं... 

जितना सबने समझा शायद उतनी आसान नहीं थी मैं

तब अपने आप से शायद कुछ परेशान सी थी मैं

खुद ही उलझ जाती थी अपने ही ख्वाबों  की तसव्वूर  में 

और खो देती थी अपना आज अपने अतीत के पन्नो में 

जीने लगती थी तुम्हारी कल्पनाओ की दुनिया में 

जी रही थी कुछ असमंजस सी जिंदगी ....

तब सिर्फ तुम थे  और मैं थी...... 

मगर क्या  बदल गया सब कुछ ....शायद नहीं 

क्योकि.... आज भी तलाश रही हूँ मैं खुद को

इसीलिए आज भी तो  मैं याद नहीं रख पाती 

अपनी कुछ जरुरी चीज़े कुछ तारीखे  

अपने जीवन की कुछ सीखें 

भूल जाती हूँ  सबकुछ तुम्हारी यादो के सागर  में

 जो शायद बहुत  गहरा है मेरी मुहब्बत की तरह

 उस गहराई में डूब चुकी है मेरी उम्मीदे,

 मेरे सपने मेरे  ख्वाब, मेरी नींदें ...  

मेरा सब कुछ क्या इतना  मुश्किल है 

सब कुछ भूल जाना .... हाँ....  मगर

इतना आसान भी तो नहीं  है 

तुझे भूल जाना तेरी यादों को दिल से  मिटा पाना 

शायद ... इसीलिए मैं अभी तक तलाश रही हूँ खुद में खुद को.... 

तलाश रही हूँ अपना वजूद की

 आखिर कौन हूँ मैं ..?