शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

आज भी तुम






आज भी तुम अक्सर मेरी आँखों से छलक जाते हो 
और मैं  तुम्हे समेटने की कोशिश करती हूँ पर 
तूम आँखों से निकल कर गालो के रस्ते खुद ही
समां जाते हो वापस मेरे अंदर.....|  

आज भी तुम हर बारिश में पानी की बूँदों से 
मेरी खिड़कियों पर अपना अक्श बनाते हो 
और मैं  तुम्हे जब तक महसूस करती हूँ 
तब तक तुम हो जाते हो मेरी आँखों से ओझल .... | 

आज भी तुम रोज मेरी ख्वाबो में आते हो 
अपने होने का एहसास करा जाते हो 
सोचती हूँ सोती रहूँ मैं आँखे खोलू 
 पर आँखे खोलते ही  तुम दूर चले जाते हो.....| 

आज भी तुम हो तो मैं हूँ तुम्हारी यादे है 
तो मेरी साँसे है मेरी धड़कन है 
भले ही बदल गया सबकुछ  
मगर मेरी  आँखों में तुम ही नजर आते हो ....| 

आज भी अपने दिल की चाहतो के साये में 
तेरी उम्मीद के दियो को जला रखा है 
आज भी आती है दिल से आवाज 
तुम थे, तुम ही हो, तुम ही रहोगे 
कसक बनकर नहीं....  बनकर 
मेरा प्यार महकते रहोगे मेरी साँसों में....| 




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