रविवार, 18 नवंबर 2018

मेरी जिंदगी....


मेरी जिंदगी मुझसे इतनी रुसवां  क्यूँ है
हर किसी से इतनी जुदा  क्यू है...|   

भीड़ से घिरी हूँ  मैं  हरदम..फिरभी,
मेरा दिल इतना तनहा क्यूँ  हैं.....|  

पलके भरी है मेरी सपनो से ...फिरभी
नींद से जागना इतना दुखदायी क्यूँ  है...|  

हर तरफ चाहत है जिंदगी में ...फिरभी
मुझे  जिंदगी से शिकायत क्यूँ  है....|  

हर पल मेरे तस्सवुर में  तुम हो .. फिरभी
हर वक्त  तन्हाई का आलम क्यूँ  है...|  

हर दम बिखरी है मुस्कराहट होठो पर...फिरभी
आँखों में आँसूऔ का दरिया क्यूँ  है....|  

मालूम है मुझे तुम कही नहीं हो। ..फिर भी,
इस दिल को तुम्हारा इन्तजार क्यूँ हैं  ....| 

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