रविवार, 13 सितंबर 2015

पंख कहा बिकते है ......................मेरे हमदम

                                                           " मेरे हमदम "


पंख कह बिकते है , मेरे हमदम, 

बोलो खरीद कर दोगे ......
मै उड़ना चाहती हू ,

अंबर से भी ऊंचे तक |

वक्त कहा रुकता है मेरे हमदम ,

बोलो पता लाकर दोगे ............ 

मै उसे रोकना चाहती हू ,

तुम्हारे दर पर आने तक |

ये, आँसू कहा गिरते है मेरे हमदम ,

बोलो मुझे बताओगे ............ 

मै सब आँसू लेना चाहती हू ,

आंखो के पोर सुखने तक |

प्यार , कैसे देते है मेरे हमदम ,

बोलो मुझे दोगे .........

ढेर सा प्यार लेना चाहती हू ,

देना चाहती हू अपनी जीवन के अंत तक | 

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