बुधवार, 2 सितंबर 2015

बेटी पर कविता.................

बेटी को आप या आरती का दिया कहिए या पुजा की थाल ॥बेटी हर तरह से पवित्र होती है | उसके लिए मै जितना भी लिखू कम है ............


...एक रेशम की जरी, एक जऩत की परी जिसे कहते है बेटी!
एक पूजा की थाली,एक आरती का दिया,जिसे कहते है बेटी!
एक रेशम........
यही सीता,यही मरियम,
यही मनू ,यही मलाला !
सीख ले जहाँ इनसे कुछ,
इनको कहते है बेटी।
एक रेशम......
यही लता, यही शुषमिता,
हर तरफ इनका नाम है,
हा , यही मैरिकामॅ हैं।
एक रेशम.....
जब हो बेटी का जनम,
चादँ पर रख दे कदम,
फिर क्यो रहती है डरी,
एक जन्नत की परी ,
जिसे कहते हैं बेटी।
आओ इनको प्यार दे,
क़यो हम इनको मार दे,
आज हमारी छावँ है,
कल हम इनको छावँ दे!
माँ, बहन , पत्नी है ये,
जिसे कहते है बेटी।
एक रेशम की ......



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