शनिवार, 12 सितंबर 2015

जीवन का मूल्य ......सच ....

                                                       "सच और जीवन "



आज अगर हम अपने जीवन शैली पर गौर करे तो हमें पता चल जाएगा कि हम अपने संस्कारों से कितना दूर

होते जा रहे हैं। हर तरफ झूठ और अहकांर की लड़ाई हो रहीं है , हर इंसान कुछ ढूंढ रहा है और उसको वो मिल

नही रहा है तो वो और परेशान हो रहा है।

हमारे जीवन का मतलब क्या रह गया है हम सिर्फ अपने आप से भाग रहे है | बोल झूठ रहे है पर सच की खोज
 मे भाग रहे है |

जीवन का मूल्य सच बोलना  ही है लेकिन अगर सोच कर देखे तो हम कितना झूठ बोल रहे है | झूठी जिंदगी जी

रहे है , सच तो कही  गायब सा होता जा रहा है |

सच को जीवंन का मूल्य इसलिए बताया गया है ,क्योकि सच ही जीवन है | सच के साथ चलना ही जीवन है

अगर हम सच के रास्ते पर है तो भगवान भी हमारे साथ है |

कहते है सौ झूठ बोलना पड़ता है सिर्फ एक सच को छुपाने  के लिए ...........

बच्चे कभी भी जूठ नहीं बोलते है क्यो? क्योकि उनको जूठ के बारे मे पता ही नहीं है कि जूठ होता क्या है |

उनको जूठ बोलना तो  हम सीखाते है |

हम सिर्फ एक पूरा दिन सच के साथ गुजार  कर देखे तो हमे  पता चल जाएगा कि हम अपने जीवन मे क्या
 खोज रहे  है |   हमारा मन शांत हो जाएगा ,चेहरे पे एक तेज  आ जाएगा ,और जीवन भी खूबसूरत लगने लगेगा| |
  सिर्फ एक दिन सच के साथ...................|

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