सोमवार, 28 सितंबर 2015

आशा और निराशा...|

आज हमारे जीवन में तनाव बढ़ रहा है।आज के समय मे हमारे पास खुद के लिए ही समय नही है, हम दूसरों के 

लिए समय कहा से निकाल सकते है। आप खुद सोचिए ....क्या ये सही है | हम हर पल तनाव मे जी रहे है | कही 

से कोई आशा नहीं है की हम तनाव मुक्त जीवन कब जी सकेंगे | 


.... लेकिन देखा  जाए तो सब कुछ हमारे हाथ मे है |  हम भी बेफिक्र होकर तनाव मुक्त जीवन जी सकते है | 

रुकावट ,दुख, नुकसान तो  जीवन के सत्य है , जो हर इंसान के जीवन मे जरूर आते  है | जब भी हम अपने 
जीवन से या अपने किसी करीबी से ज्यादा पाने की इच्छा रखते है और हमे वो नहीं मिलता तो हमे तुरंत अवसाद हो जाता हमे  तुरंत चिंता  हो जाती है और   निराशा् तुरंत हमारे जीवन में घर कर लेती है |

जब हमे अपनी मर्जी के अनुसार कुछ नहीं मिलता तो हम निराश हो जाते है | 

लेकिन अगर हम अपनी असफलता को दूसरे रूप मे ले तो भगवान हमे सफलता का रास्ता दिखाता है | लेकिन 

  ,हम इतना ज्यादा निराश हो चुके होते है की हमे वो दूसरा रूप या रास्ता दिखता ही नहीं है और न ही हम 
देखने की कोशिश करते है | 

भगवान तो हमारे साथ हमेशा रहता है चाहे हम दुखी हो या सुखी | बस हमे अपने दुख मे हिम्मत रखने की
 जरूरत होती है .... आशा की किरण तो भगवान दिखाता है बस  हमे देखने की जरूरत होती है |


अगर हम अपना मन शांत रख कर उस रास्ते पर चलने की कोशिश करे जो हमे  अपने दुख के कारण दिख नहीं रहा था तो जरूर हमे भी सफलता मिलेगी और वो सब कुछ हासिल होगा जो हम अपने जीवन से चाहते है |

बस हमे सकारात्मक सोच के साथ आगे कदम बढ़ाने की जरूरत है |जब हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हमे

हर तरफ नई आशा की किरण दिखेगी ,नए रास्ते दिखेंगे ,नयी मंज़िले मिलेंगी | 

जरूरत है तो बस सकारात्मक  सोच के साथ एक नयी सुबह से शुरुआत करने की ..........| 




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