शनिवार, 21 अगस्त 2021

कैसी कशमकश है ये......

 


 

कैसी कशमकश है ये
तुम्हारी  ये खामोशी 
मेरे लब्जो पर बहुत 
भारी हो रहे है अब
एक तो दूरी 
उस पर से तुम्हारी 
लंबी खामोशी 
ये चाहत का कोई 
इम्तिहान है या 
कुछ और सिलसिला 
कितनी भी कोशीश कर 
लूँ मै ना तो तुम पास 
आते हो ना मैं तुमसे 
दूर जा पा रही हूँ 
बस उलझते ही जा रहे है 
दर्द के धागों में 
मै, तुम और 
हमारा प्यार 
अभी और कितना 
उलझन बाकी है 
कबतक ये सिलिसिला 
चलता रहेगा 
कब तक आंख मिचोली 
खेलोगे मेरे साथ 
अब आ जाओ या 
खत्म कर दो ये 
सिलसिला प्यार का 
ना कोई कशमकश रहे 
ना कोई इंतज़ार..।
 
 
 
 

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