शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

तुम्हारे इंतज़ार में ......

 

जाने से पहले तुमने सोचा 

क्या छोड़ कर जा रहे हो 

क्या तोड़ कर जा रहे  हो 

खाली कर दिया तुमने मुझे 

जैसे शून्य बन कर रह गयी मैं 

बांध कर रिश्ते में मुझे  खुद 

तो आज़ाद हो गए 

बंधनो से मुक्त होकर 

कही और बस गए 

काल रात चाँद भी 

आया खिड़की पर 

तुम्हे तलाश करते हुए 

बोल दिया कि अब

 तुम यहां नही रहते 

चाँद वहां भी तो

निकलता ही होगा 

शाम भी होती होगी 

बारिशें वहां भी होती होंगी 

कैसे रह पाते हो तो तुम 

यादे तो सताती ही होंगी 

या फिर तुम्हे मेरी 

याद ही नही आती 

वहां भी सब कुछ वैसा 

ही होगा जैसा यहां था तो 

फिर नया क्या है तुम्हारे शहर में 

कैसे भूल पाओगे मुझसे  दूर जाकर 

भले ही नया शहर नए लोग होंगे 

मगर यादे तो पुरानी ही आएंगी 

कैसे भर पाओगे अपने

खालीपन को सुनो,

अगर ना रह सको नए शहर में 

तो लौट आना मेरे पास 

मैं वही मिलुंगी जहा 

तुम छोड़ गए थे 

तुम्हारे इंतज़ार में 

पुराने प्यार के साथ ।

 

 

 

 

 

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