गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

कितने बिखरे थे तुम

 





देखा था कल राहो में 

कितने बिखरे थे तुम 

जब संभाल नहीं सकें

खुद को तो बिछड़े  क्यों 

आंखों की उदासी 

बयां कर रही थी 

उन रातों को 

जो तुमने जाग कर

काटी थी 

लव जैसे बरसो से 

मुस्कुराना भूल गए हो 

तुम्हारी तन्हाइयो को 

तुम्हारा चेहरा बयां

कर रहा था 

पल भर के लिए भी 

तुम्हारा मुड़ कर ना 

देखना बता रहा था 

कि तुम कितने 

नाराज हो खुद से 

यूँ बेखबर रहना था 

तो बिछड़े क्यूँ  

जब खुद को संभाल न 

सके तो बिछड़े क्यों   ।।

 

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