शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

किसको मैं बतलाऊ ..

 



किसको मैं  बतलाऊ ..।


मैं खुद को भूल गई 
ये किसको समझाऊं
मेरी नज़रे मुझसे ही 
मेरे मन की बाते छुपाती है 
राते भीगी भीगी सी 
आंखो में ही बीत जाती है
उन भीगे-भीगे लम्हों को
किसको मैं दिखलाऊं 
कितना विचलित है मन 
किसको मैं बतलाऊं ...।

लड़ती रहती हूं मन से 
रूठी रहती हूं खुद से 
छुपा आंसू मुस्कुराती हूं 
सबको खुश दिखलाती हूं
दिल से कैसे मैं मुस्कुराऊं 
कितना विचलित है 
किसको मैं बतलाऊं ,....।

कहती हूं हर पल 
सबसे समझाती हूं
सबको हर पल 
जो है ठीक है
जैसा है ठीक है 
वक्त बीत रहा है 
समय गुजर रहा हैं
खुद को कैसे समझाऊं
कितना विचलित है मन
किसको मैं बतलाऊँ  ,....।

रिश्तों से समझौता 
ख्वाबों से समझौता 
वक्त से समझौता 
हालात से समझौता 
जीवन एक समझौता है 
या समझौता एक जीवन 
अब मैं भी ये  समझ ना पाऊं
कितना विचलित है मन 
किसको मैं बतलाऊं..... ।।

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