गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

तुम लौट आओ ......





पिघलते मोम की तरह 

अब तुम्हारे  एहसास भी 

पिघल रहे है ,

प्यार की धागों से 

बांधा था तुम्हारी यादों को 

अब वो भी कमजोर 

पड़ रहे हैं 

वक्त बहुत बीत गया 

मन की बेचैनी को 

किससे बयां करूं 

मन का बोझ किधर 

हल्का करू 

 कोई तो हो जो 

कहे रुको ये वक्त 

है गुजर जाएगा 

ये जीवन फिर से 

सवर जायेगा 

मगर संभव नहीं 

तुम लौट आओ        

आज भी कसक 

है अभी दिल में 

तुमसे बिछड़ जाने का  

इंतजार है अभी भी

तुम्हारे आने का ।।

 

 

 

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