शुक्रवार, 14 मई 2021

मेरे दोस्त

 


कुछ शब्द मेरे दोस्त और

उसकी दोस्ती के  नाम

बहुत याद आते हो तुम

और तुम्हारी बातें

तुम्हारा वो हँसना

तुम्हारा वो खिल खिलाना

मुझे चिढ़ाना, चिढ़ाकर रुलाना

किसी भी मुसीबत में

मेरा ढाल बनकर

मेरे साथ खड़े हो जाना

कभी हुई उदास मैं अगर

तो मुझको हँसाना

सिर्फ यादें ही है तुम्हारी

तुम नहीं हो.... तो मेरे दोस्त

कभी फुरसत हो तो चले ना 

अपनी व्यस्तताओ से वक्त

निकाल  कर दे देना

मुझे कुछ पल उधार

जी लेंगे हम फिर से वो पुराने दिन

बाँट लेंगे अपने सुख दुःख उस पल में

कुछ तुम अपनी कहना

कुछ मेरी सुन लेना

मिलेंगे एक बार फिर

उसी जगह जहाँ मिला करते थे

खेलेंगे फिर धुप छांव का खेल

बंद करके मेरी आँखे

छोड़ देंना कही  दूर

तुम्हारी खुशबू से तुम्हे फिर से  ढूंढ लुंगी

जैसे पहले ढूंढा करती थी

समेट लेंगे कुछ नई यादें

आगे जीने के लिए ... इसलिए

फुर्सत मिले तो मिलना जरूर

 

 

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