मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020



 

अधूरी चाहत 

 

चाहा जिसको बेपनाह 

 वो दूर हो गया 

 रह  गए मेरे ख्वाब अधूरे 

 चाहत भी रह  गयी अधूरी 


 तेरी यादो ने बहुत रुलाया  हैं 

 दूरियों ने बहुत तड़पाया है 

 मेरी चाहत तुम थे 

मेरी इबादत तुम थे 

फिर क्यों रह गयी मेरी इबाबत अधूरी 

 क्यूँ रह गयी  मेरी  चाहत अधूरी 

 

आज भी हैं आँखों में  ख्वाब तुम्हारे 

आज भी हैं  इंतज़ार तेरा

तुम दिल मेरा तुम धडकन मेरी 

सांस भी तुम ही थे 

फिर क्यूँ  रह गयी मेरी साँस अधूरी 

क्यूँ रह गयी मेरी  चाहत अधूरी 


तुम ही राह  मेरी तुम ही मंजिल मेरी 

बिछड़ गए क्यों रास्ते में फिर 

रह  गयी मेरी  राह  अधूरी 

और फिर रह गयी मेरी चाहत अधूरी 


 

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