मंगलवार, 27 मार्च 2018

किसने बांध रखा है









किसने बांध रखा है बंधन मे...

मन कहता है नील गगन मे |

उड़ जाऊ मै पंछी बनकर...

दूर - दूर तक पंख पसारे |

उड़ती जाऊ बादल बन कर...

मै असीम बन जाऊ साथी |

ऐसी अभिलाषा  है मन मे...

माया का है जाल  तोड़ना...

लोभ मोह से भी बचना है |

जड़ता छूटे, शुद्ध चेतना....

साथी पथ पर चलना है |

सत्य सदा अपनाना होगा ...

स्वाश- स्वाश मे धड़कन मे....

किसने  बांध रखा है..... 



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