बुधवार, 28 मार्च 2018

यादों की गलियों





यादों की गलियों में जाकर देखा..... 
          कुछ मिला तेरी यादो के सिवा |

दिल के झरोखो में झांक कर देखा ....
         कुछ मिला तेरी चाहतो के सिवा |

मन के बाग़ों में भी   देखा वहाँ भी ......
        कुछ मिला तेरी खुश्बू के सिवा |

जहाँ बिछड़े थे हम उन राहो  को देखा..... 
       कुछ मिला तेरे कदमों के निसा के सिवा |

ढूंढती रही मै अपने अंदर खुद को..... 
      मुझे तू ही मिला मेरे अंदर मेरे सिवा |

आँखे बंद करके सपनो में देखा.... 
     वहाँ   भी कुछ मिला तेरे ख्वाबों के सिवा |

मेरे अंदर ये तेरा वजूद है या ... 
     तेरी चाहत का असर ....

 मेरे पास कुछ भी नहीं है ....
     एक तेरी मुहब्बत के सिवा |

दूर हो गए तुम मुझसे पर... 
   दूर ना  हो पाया मुझसे तेरा एहसास,

और.... 

   मेरे पास कुछ भी नहीं तेरे एहसास के सिवा.....   


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