बुधवार, 6 जून 2018

चलो आज चले




चलो आज चले, किसी  नयी राह पर,

कुछ नये की तलाश में..... 

जहाँ  न कुछ खोने का डर हो ना 

कुछ पाने की आस...... 

ना कोई जाना -पहचाना हो 

न कोई एहसास .....  

चलो आज चले अनिश्चितता से 

निश्चिता की तरफ ... 

गति से स्थिरता की तरफ,

इन उलझनो  से सुलझन की तरफ़,
 
चलो आज खुद से अजनबी बन जाए.....

परिचित से अपरिचित बन जाए,
 
देखे अपने अंदर, ढूंढे खुद को खुद में,

खुद से कुछ बातें करे......

तलाश करे खुद की और फिर तराश दे मन को,

मन के अंतर्द्व्न्द को,  

चलो आज चले,  कही दूर, बहुत दूर,

किसी नयी राह पर........ !




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