सोमवार, 15 अप्रैल 2019

मेरी शुभकामना







आज सुबह का सूरज देखो, 
कैसे चमका अम्बर में | 
पंछी के कंठो से फूटा, 
स्वर -संगीत डगर -डगर में || 

कुछ नया -नया सा उतरा है, 
धरती पर चलो करे स्वागत |  
कलियाँ चटकी हर फूल हँसा, 
दिनकर ने डाला रोली-अक्षत || 

क्या खोया क्या पाया हमने, 
जीवन कोई व्यापार नहीं है |  
आज जिए, आज हँसे, और झूमे,
कल का कोई आधार नहीं है || 

दृष्टि अगर हम बदले तो, 
सब सूंदर है, सब पावन है | 
दुःख की बदली तो कही नहीं, 
मस्ती में झूमता सावन है || 

सब साथ चले जीवन पथ पर, 
ऐसी हो सबकी भावना | 
सुख, शांति मिले समृद्धि कीर्ति, 
यही है मेरी शुभकामना ||  

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