गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

क्या करुँ ...








बनकर मेरी धड़कन तुम दिल में धड़कते रहते हो 
समझ नहीं आता की तुम्हे दिल में रखूँ या निकाल दूँ,

परछाइयाँ है तेरी ये इज़हारे मुहब्बत की 
समझ नहीं आता की इन्हे थामू या जाने दूँ,

मेरी ख्वाबो में बस जाए तू ये चाहत थी मेरी 
समझ नहीं आता कि तेरा  ख़्वाब  देखू या छोड़ दू ,

हर तरफ लिखूं  नज्म तेरे प्यार की यही तमन्ना थी मेरी 
समझ नहीं आता कि नज़्म  लिखुँ या मिटा दूँ,

हर पल इंतज़ार रहता है तेरा सिर्फ तेरा 
समझ नहीं आता कि बाजी जीतू या हार दूँ ....|

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