बुधवार, 27 अप्रैल 2022

एक और साल

 



मिलते बिछड़ते 

गिरते संभालते 
बीत गया 
एक और  साल ...
कुछ जखम 
उम्र भर को दे गया 
कुछ खुशियों से 
भर गया 
यू ही मुसकाते 
गाते बीत गया 
 एक और  साल ...
कही उजाड़ दी 
जिंदगी कई 
कही भर दी 
उमंग नई 
रोते बिलखते 
हस्ते मुस्कुराते 
बीत गया 
 एक और साल  ...
कुछ दर्द भी दे गया 
कुछ संगीत भी 
भर गया 
गाते गुनगुनाते 
 यूँ ही बीत 
गया एक और साल ..।
चाहो या ना चाहो 
फिर भी ये साल तो 
याद रहेगा 
जब याद आएगा 
अपनी कहानी कहेगा
वो मिलना वो बिछड़ना 
आंखों से नीर बनकर बहेगा 
यू ही रोते मुस्काते 
बीत गया एक और  साल ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें