बुधवार, 6 अप्रैल 2022

Shyari....

 


वक्त के आगोश में पलटने लगी 

कुछ पुराने पन्नो को 

कुछ वहम था टूटते देर नही लगा 

हर तरफ तू ही नजर आया 

हर शब्द हर नज़्म में तू ही था 

हर अल्फ़ाज़ तुझसे ही निकले 

मेरी कहानी तुझसे ही थी ||




तुम्हारी खामोशी को 

हमने नाराजगी समझ लिया 

क्या पता था कि तुम्हे

दूर जाना था मुझसे ।।

 

बार बार धोते रहे हम आंसूओ से 

तेरी यादों को 

मगर क्या मजाल है जो 

थोड़ा भी रंग फीका पड़ा हो 

 

कल उसने इज़हारे इश्क़ 

इस तरह जताया 

बड़े प्यार से  अदरक वाली 

चाय बना कर लाया ।। 


स्वछंद उड़ना आकाश में 

फितरत थी उसकी,

क्या पता था डोर कटते ही 

वजूद खो जाएगा ।।

 

 

 

 

चलो टूटे लम्हो की मरम्मत कर लेते है 

जो फासला है दरम्यां वो कम कर लेते है ।

 

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