मंगलवार, 4 जून 2019

तुझे कैसे भूल जाऊँ




तुझे कैसे भूल  जाऊँ 
उलझे है कुछ ऐसे है सवाल 
जो सुलझते नहीं 
हर तरफ है सिर्फ सवालो के जंजाल 
पर तुझे कैसे भूल  जाऊँ 

उम्मीदें अभी भी है बाक़ी 
हसरते अभी भी है जागी 
अधूरी मुहब्बत  का एहसास 
अभी भी  है बाकि 
लेकिन तुझे कैसे भूल  जाऊँ  

थक गयी हूँ अकेले चलते चलते 
सफर तनहा काटते काटते 
उजाड़ गया है मेरा रास्ता 
थक गयी हूँ तेरी राह  देखते देखते 
पर इन्तजार  तेरा अभी भी है बाकि 
इसलिए तुझे  कैसे भूल  जाऊँ  


जिन्दा हूँ तेरी यादों के साथ 
तेरे नाम से चल रही मेरी साँसे   
सिर्फ तेरे  ही  ख्याल में 
बिखर गए है  ख्वाब मेरे 
भूल जाऊँ  मैं  अपनी साँसों को 
मगर तुझे कैसे भूल जाऊँ 


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