मंगलवार, 4 जून 2019

कुछ मैं कहूँ .... कुछ तुम कहो






कुछ मैं कहूँ .... कुछ तुम कहो
तुमने मुझे अपना बनाया
मुझको  अपने  गले से लगाया
जिस सत्य से दूर थी मैं
उसको तुमने समझाया
चलो प्यार के सागर  में
कुछ तुम बहो  कुछ मैं बहु....| 

नयी गति मिल गयी

तुम क्या मिले मुझे
मुझको  जिंदगी मिल गयी
साँसों में बस कर अब धड़कन में
कुछ तुम रहो कुछ मैं रहूँ ...|  

बस जो  भी है उसको  थाम  लो

बरसे प्यार की बूँद हर तरफ
चलो अपने  प्यार  की माला को
कुछ तुम गहो  कुछ मैं गुहु...| 

 दिल की सुंदरता में 
इस रिश्ते को कोई नाम  दो

तुम ही मेरे मीत  हो तुम ही मेरे गीत हो
 नहीं पता मुझे क्या हार है क्या जीत है..  
बस जो भी मिले  उन सबसे मीत  है
सु हो या दुःख हो  चलो
कुछ तुम सहो कुछ मैं सहुँ...     


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