मंगलवार, 3 जुलाई 2018

कुछ अनकही बातें,






दिल ही  दिल में रह गयी.... 

दिल की कुछ अनकही बातें,
होठों पर बस गयी आकर....

कुछ अनचाही मुस्कुराहटें,
बाते जो अधूरी रह गयी दिल में... 

बन गयी एक किताब तेरी यादों की,
नम हो जाती है आँखे,

तेरी याद में जब भी मै.... 

यादों की किताब को पढ़ती हूँ,

 दिल तो चुप रहता है.....मगर  

पन्ने  रो पड़ते है,

लब तो खामोश रहते है....मगर 

आंसूं बहने लगते है,

नजरे तेरी राह  देखती है....मगर 

कदम पीछे हट जाते है,

तुम बिन रह गया बहुत कुछ,
अनकहा और अधूरा.... 
अधूरी मुलाकाते, अधूरी बातें,

अधूरे दिन अधूरी राते,
रह गयी मै भी अधूरी,
दिल में लेकर कुछ अनकही बातें....! 

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