शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

मेरी मुस्कुराहट





एक दिन मुझसे मिली मेरी मुस्कुराहट 
आ गयी बिना पूछे बिना आहट 
सोच रही थी की मै मुस्कुरायी कैसे 
तभी कुछ हरक़त हुई मेरी धड़कनो में 
उसकी याद जो आयी थी 
तभी तो मै मुस्कुरायी थी 
सोचकर उसको ख़यालो में 
मै थोड़ा शर्मायी थी 
तभी तो मेरी मुस्कराहट 
मुझसे मिलने आयी थी 
तन्हाइयों की वजह से 
आंसुओं ने बसेरा कर रखा है
मैंने तो अपनी मुस्कराहट भी
उसके नाम कर रखा है  
मुझसे मिलने मेरी 
मुस्कराहट तभी आती है
जब जब मुझे उसकी याद आती है
कह चुकी हूँ मै उससे खयालो में ही सही 
मगर आ जाया करो, मेरी यादों 
में बस जाया करो  
बन कर मुस्कराहट 
मेरे होठो पर बिखर जाया करो   

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