बुधवार, 11 जुलाई 2018

काश..... एक दिन




काश..... कभी एक दिन ऐसा आये 

ये पल, ये लम्हा यही ठहर जाए 

मै पलके बंद करू और ये उम्र गुजर जाए
 
मेरे पास तुम बैठो और वक्त थम जाए

काश..... वो दिन फिर से लौट आये 
 
 तुझसे  मिलने की कोई वजह मिल जाये 

साथ बिताया हुआ वो पल मिल जाए 

बंद कर लूँ मै अपनी आँखे....क्या पता  ख्वाबो,
 
में  गुजरा हुआ कल  मिल जाए, 

अपने दर्द को लब्जो में कैसे  बयां करू,

काश.... तू मेरी खामोशियो को समझ जाए

और.... एक दिन ऐसा आये..... कि, 

ये पल, ये लम्हा यही ठहर जाए...| 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें