बुधवार, 18 जुलाई 2018

मन बादल बन कर




मन बादल  बन कर उड़ जाना चाहता है 
तेरे दामन   में बरस जाना चाहता है,

लिपट कर तुझसे तुझको भिगो देना चाहता है 
कुछ अपनी कह कर कुछ तेरी सुनना चाहता है,
 
बना  कर तुझे बूँद  खुद सीप  बन जाना चाहता है
तेरे प्यार की मोती को अपनी चाहत में,
 
 पिरोकर तुझे समेट  लेना चाहता है 
तुझे आँचल में छुपा कर तुझे जहाँ से दूर ले जाना चाहता है,
 
जहा मै हूँ तुम हो, और  बरसात की ये बूंदे 
तुम्हारे साथ प्यार की इन  बूँदो को बंद कर  लूँ मै,

अपनी मुट्ठी में प्यार का बादल  बना  कर 
जब भी आये मुझे याद तुम्हारी,
 
उन बूंदो से भिगो लूँ खुद को 
और फिर बरस जाऊँ तेरे दामन  में....|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें