बुधवार, 29 अगस्त 2018

ये आँखे बिन पूछे



यूँ तो ये आँखे बिन पूछे 
बहुत कुछ कह जाती है 
तेरी चाहत में ये आँखे 
अपना दर्द बयां कर जाती है,
और... यादें आँसूं बनकर यूँ  ही 
बह जाती है, 
सोचती हूँ... अगर आंसूँओं से मिट 
जाती तेरी यादें, 
तो जी भर के रो लेती ये आँखे 
सोचती हूँ... भूल जाऊ तुझे 
तेरी तस्वीर को मिटा दू इस दिल से 
मगर जो साँसों में बसा हो 
उसको भूलू कैसे 
बिन तेरी  यादों के जियूँ कैसे 
मुद्दत हो गयी तेरी यादों में जागते हुए 
आँखों में बसे हो तुम तो मैं  सोऊँ  कैसे 
एक बार आ जाओ हकीकत बनकर 
कर लूँ  मैं तुझसे बेइंतेहा मुहब्बत 
और सो जाऊ तेरे दामन में हमेशा के लिए....!

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