बुधवार, 23 जून 2021

एक स्त्री .....


 एक स्त्री 

जानती है सब कुछ 

वो सब जानती है 

लेकिन फिर भी जीती है 

खुल कर दिल से 

स्वछंद उड़ना चाहती है 

आकाश में पंख पसारे 

बन जाती है छोटी सी 

चिड़िया कभी इस डाल 

पर कभी उस डाल पर 

चहकती है पूरे दिन 

क्योकि पता है कि

एक दिन उसके भी

पर कट जाएंगे 

और वो कैद में चली  

जाएगी देखती है  खुली 

आँखों से सपना 

खो जाना चाहती है 

अपने सपने में 

सपनो की बाते करती है 

खुश रहती है अपने आप में 

जीती है अपनी दुनिया में 

क्योकि वो जानती है 

एक दिन उसपर भी 

कुछ अंकुश लग जाएंगे  

वो बांध दी जाएगी 

कुछ रिश्तो के बेड़ियों में 

माथा  ढक दिया 

जाएगा लाज का चुनर से 

मौन कर दिया जाएगा 

मर्यादा की चादर से 

फिर भी वो स्त्री है 

वो सब जानती है 

सब कुछ समझती है 

जी लेती है इन सब 

बंधनो के साथ 

बड़ी ही खूबसूरती से 

क्योकि वो एक स्त्री है ...।

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें