रविवार, 27 मार्च 2022

तुम्हारा प्रेम ....


 



तुम्हारा प्रेम 

एक बूढ़े बरगद

की शाखा जो 

लिपटी हुई है 

मुझसे पूरी जड़ता 

के साथ उसकी जड़े 

जो पैठी है मेरी भीतर 

मैं खामोश खड़ी हूँ 

धरती की तरह 

तुम्हे शसक्त रखने 

के लिए ताकि 

तुम अडिग खड़े रहो 

और मैं मौन रहूँ 

तुम्हारी खुशी लिए ।।

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