बुधवार, 29 सितंबर 2021

चाँद और तुम.....

 



देखो ना आज भी

 चाँद वैसा ही है 

जैसा तुम छोड़ गए थे 

वही चाँदनी वही रोशनी 

सब कुछ वैसा ही है 

सिर्फ तुम्हारी कमी है 

जब यादें दिल को 

दुखाती है तो उस दिन 

चाँद भी कम चमकता है 

मुझे उदास देख कर 

वो भी उदास हो जाता है 

आकर वो मेरी खिड़की पर 

झांकता है अंदर तक 

ढूंढता है वो तुमको  

मेरे आस पास हर जगह 

कही नही मिलते तुम उसे 

उदास हो चला जाता है 

और उस रात अमावस 

की रात हो जाती है 

देख लेता है जिस दिन वो 

तुमको मेरे अंदर 

मेरे एहसासों में 

मेरी आँखों में 

चमक उठता है वो 

उस रात को फिर 

पूनम की रात हो जाती है ।

 

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