मेरे दिल का शौक है
मेरी जुबां की लत है
ये मेरी चाय ही है
जिससे दिल से मुहब्बत है ।
ये चाय भी बिल्कुल
तुम जैसी है
खत्म हो जाती है मगर
तलब अधूरी रह जाती है ।
तुम थोड़ा ही सही
मुझे मिल क्यों नही जाते
आकर मेरे साथ
चाय पी क्यों नही जाते
कितना सब्र करु मैं
किस तरह जियूँ मैं
तुम बिन अकेले कैसे
चाय पियूँ मैं..।
कुछ पल तेरे साथ जीना चाहा था
एक कप चाय ही तो पीना चाहा था
और ...तुमसे वो भी नही हुआ
चलो कुछ पुराने यादों से
मिलकर आते है
कुछ दोस्तो को आज चाय
पर बुलाते है ।।
आज तुमने मुझे चाय नही
पिलाई कोई बात नही
आना तुम कभी मेरे घर
चाय हम भी बनाएंगे .. मगर
तुम सिर्फ देखोगे
और चाय सिर्फ हमारी होगी,
वो कप भी हमारा होगा,
प्लेट भी हमारा होगा,
आज तुमने मुझे चाय नही
पिलाई कोई बात नही
आना तुम कभी मेरे घर
चाय हम भी बनाएंगे .. मगर
तुम सिर्फ देखोगे
और चाय सिर्फ हमारी होगी,
वो कप भी हमारा होगा,
प्लेट भी हमारा होगा,
और चाय सिर्फ हम पियेंगे ।।
एक तुम्हारी खामोशी
एक मेरी खामोशी
हद है यार ....
कभी तो सोचा करो
खामोशियों के चक्कर मे
चाय ठंडी हो जाती है
एक तुम्हारी खामोशी
एक मेरी खामोशी
हद है यार ....
कभी तो सोचा करो
खामोशियों के चक्कर मे
चाय ठंडी हो जाती
है
जिंदगी खाली कप
की तरह हो गयी है
कभी आने का वादा
करो तो खालीपन दूर हो ।।
ख्वाबो में ही
सही एक मुलाक़ात तो रखो
जहां मैं हूँ तुम
हो और चाय साथ हो ।।
कुछ रिश्तों के सवालों ने
इस तरह घेरा मुझे
बड़ी शिद्दत से
चाय बनाकर
पिया मैंने
तुम्हे देखती हूँ तो इश्क नजर आते हो
सोचती हूँ तो
इबादत बन जाते हो
एक खूबसूरत से
खयाल बनकर
दिल मे हर घूंट
के साथ
उतरते जाते हो ।।
चलो कुछ पुराने यादों से
मिलकर आते है
कुछ दोस्तो को आज चाय
पर बुलाते है ।।
1- चार दिन की तो जिंदगी है
दो पल चाय पीने में गुजर गए
फिर बचा क्या सिर्फ दो दिन
छड्ड परे सोचना क्या
दो पल भी चाय पीने में ही गुजर
जाएंगे
2- ये जो तेरी यादों का साया है
मेरी चाय के कप में समाया है,
घूंट - घूंट कर पीती हूँ तभी तो
मैं हर पल तेरे साथ जीती हूँ ।
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