मंगलवार, 7 सितंबर 2021

स्मृतियाँ...

 


स्मृतियाँ...

 

फूलो सी तेरी स्मृतियाँ

अक्सर कांटे बन जाती है
दिन तो कट जाता पर 

राते नागिन बन जाती है..|| 

दोष नहीं है  किसी का

जीवन  है एक सयोंग
परिवर्तन का चक्र न रुकता,

 कभी मिलन है कभी वियोग
सिमटी दूरी खुलकर 

सहसा अंतहीन बन  जाती है...  ||

किसे पता था शीश- महल के

 टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे
अरमानो की चिता  जलेगी

सपने बिखर जायेंगे,
तेरी आँखों की बूंदे 

मेरी पीड़ा बन जाती है..... ||

नहीं चाहती स्मृतियों को

मन के आँगन में बिठलाऊँ
नहीं चाहती आज को अपने 

कल के कांटो से बंधवाऊँ 

फिर भी मेरी हार  सदा 

जीत तेरी बन जाती हैं।..||

प्रीत सदा दुःख देती है

क्या यही सत्य है बोलो प्रिय
छोड़ो मुझको रोने दो पर 

तुम न आंसूं घोलो प्रिय
आंसूं, पीड़ा, प्यार सिमट कर 

प्रेम कहानी बन जाती है।..

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