बुधवार, 29 सितंबर 2021

पुरानी डायरी के पन्ने .....

 


आज खुल गए कुछ 
पुरानी डायरी के पन्ने 
छू गयी दिल को 
कुछ पुरानी यादें 
मिल गए तुम्हारे दिए 
हुए गुलाब के फूल 
जो सुख कर और
सख्त हो गए थे
अरसा हो गया बिछड़े 
हुए पर यादें  आज भी 
एकदम ताजा है 
डायरी के पन्नों की तरह 
बस सख्त हो गयी है 
दिल की दीवार उन 
सूखे फूलो की तरह 
कुछ पन्नो पर 
पुराने नज़्म दिख गए 
जो कभी लिखे थे 
तुम्हारे लिए कुछ ग़ज़ले
भी थी जो चाहती थी कि 
मैं उन्हें गुनगुनाऊँ 
तुम्हारी  याद में 
कितनी बार कुछ लिखा 
और फाड़ दिया वो भी 
पन्ने अभी तक है 
पिछले पन्ने पर कितनी 
बार लिखा था तुम्हारा नाम 
वो आज भी वैसे ही है 
बहुत कुछ लिख कर 
तुम्हे कह नही पाई 
वो आज भी  इंतज़ार 
कर रहे है की 
तुमसे कब मिलेंगे 
देखो ना मेरा बचपना 
तुम्हारे नाम का खत जो 
बड़े प्यार से लिखा था 
वो भी डायरी में ही पड़ा है 
ये पुरानी डायरी के पन्ने भी ना 
कितना कुछ याद दिला गए ।







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